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श्राद्धविधिकौमुदीसक्षेपः १४ २१८
तिवग्गसिद्धीइ कारणं उचिअं तिविहो अ भावसड्ढो तो कुणइ अत्थचितं दढपंचाचार गुरुपासे दिणरत्तिपव्वचउमा दसण वय उत्तरगुणेहिं नयमग्गरई तह दढ नवकारेण विबुद्धो नामाई चउभेओ निअवयणठिई विणिट्टिो निद्दोवरमे थीतणु नियमगहो पाउसे विसेसेणं निव्वाहतो निअं धम्म पइचउमासं समुचिअ पइवरिसं संघच्चण पइदिअहं निव्वहंति जे गिहिणो पच्चक्खाइ अ गीअत्थ पडिकमिअ सुई पूइअ पडिमाई अंतिआरहणा पव्वेसु पोसहाई पाणिग्गहणं च मित्ताई पायं अबंभविरओ पुत्थय लेहण वायण पूयइ पडिक्कमइ कुणइ तह विहिणा पोसहसालाइ कारवणं बंभअणारंभ तवविसेसाई भद्दगपगई विसेसनिउणमई
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