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________________ अच्छे लगते। इसका कारण किराग अच्छा लगता है लेकिन राग आग है उसे समझ में आता नहीं। भगवान महावीरदेव राग में भी वीतरागप्राय दशा का अनुभव कर रहे हैं। ज्ञानगर्भित वैराग्य के स्वामि हैं न? दीक्षा स्वीकार करके पश्चात् समिति-गुप्तिमय जो अप्रमत्तसाधना तपोमय संयम के रूपमें की हैं, उसे किन शब्दों में वर्णन किया जा सके ? प्रभु पर तो उपसर्ग भी काफी हुए हैं। कहा जाता है कि गोवालिया से प्रारंभ होकर उपसर्ग गोवालिया के द्वारा ही समाप्त हआ । साढे बारह वर्ष के गोवालीया द्वारा प्रभु के उपसर्ग का छद्मस्थकाल में देव-दानव-मानव और प्रारंभ एवं ईन्द्र द्वारा रक्षा । १. गोसालाकी परेशानी, २. मुनि द्वारा तेजोलेश्या को छोड़ना तिर्यंच आदि के अनुकूल-प्रतिकूल सभी आये हुए उपसर्गो को अदीनपने में सहन किये । गालियों की बरसात भी हुई, पत्थर, लकड़ी, धूल और ढेफा (मिट्टी) भी इन पर फेंका गया, अनार्यदेश के लोगों ने इन पर शिकारी कुत्तों को छोड़ा, शिर पर लोच से अवशेष बालों को खिंचा।इतने उपसर्गों को सहन 54 प्रभूवीर एवं उपसर्ग 54
SR No.002241
Book TitlePrabhu Veer evam Upsarga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreyansprabhsuri
PublisherSmruti Mandir Prakashan
Publication Year2008
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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