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आनन्द श्रावक
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वाणिज्य ग्राम में कोल्लाक सनिवेश प्रभुवीर का पदार्पण प्रभुवचन की श्रद्धा और अभिव्यक्ति श्रमणोपासक का सुरम्य जीवन संकल्पशक्ति : व्रत स्वीकार पाप-महापाप की मर्यादाएँ । श्रावक : जीवाजीवादि ज्ञाता धर्मपत्नी को धर्म की प्रेरणा धर्मजागरिका : संकल्प और प्रयोग श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएँ प्रतिमाओं का संक्षिप्त स्वरूप आत्मशुद्धि का प्रकाश अवधिज्ञान की प्राप्ति और सीमा श्रीगौतमस्वामीजी का आगमन आनन्द का प्रश्न और शुद्धि लोकोत्तर शासन .
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प्रभुवीर के दश श्रावक