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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
135 अनन्तानन्त रूप वाला, विश्व उत्पन्न करने वाला, अनन्त शक्ति युक्त, अनन्त रूप युक्त, बारह भुजा वाला, चार मुख वाला और गरुड ऊपर सवारी करने वाला देव सर्व मनोरथ पूर्ण करने वाला बनाना। उसके हाथों में अनुक्रम से गदा, खड्ग, चक्र, वज्र अङ्कुश, बाण, शङ्ख, ढाल, धनुष, पद्म, दण्ड और पाश हैं। उसके मुख का स्वरूप नर, सिंह, स्त्री और वराह के जैसे हैं। ऐसा अनन्त रूप बनाना।
Anant =Of an infinite form is Anant, the Perpetual One who created the World. He possesses unending power (shakti) (98). Anant has twelve arms and four faces. He is seated on Garuda. Such is Anant, who grants all wishes. (99).
He holds a mace, a sword, a disc, a thunderbolt, a goad, an arrow, a conchshell, a shield, a bow, a lotus, a danda, and a noose in his hands. (100).
His four faces are like a man, Narsingh, a woman and a boar (i.e. Varah) respectively. In Anant is collected all brilliance, majesty, and lustre. Thus should be depicted this Anant form of God. (101). त्रैलोक्यमोहन
त्रैलोक्यमोहनं वक्ष्ये संसारमोहकारकम् । षोडशैव भुजास्तस्य तावारूढं महाबलम् ॥१०२॥ . गदा-चक्रांकुशान्येव बाणशक्तिसुदर्शनम्। . वरदं करमुद्वृत्य शस्त्रा वै दक्षिणे तथा ॥१०३ ॥ मुद्गरः पाशशाङ्गै तु शङ्ख पद्मकमण्डलू। शृंगी च वामहस्ते स्याद् योगमुद्राकरद्वये ।१०४॥ नरं च नारसिंहाख्यं शूकरं कपिलाननम्। द्विशक्त्यष्टशक्तियुतं कुर्यात् त्रैलोक्यमोहनम् ॥१०५ ॥
त्रैलोक्यमोहन के स्वरूप को कहता हूँ। वह संसार को संमोहित करने वाला, सोलह भुजा वाला, गरुड़ की सवारी करने वाला और महा बलवान है। उसके दाहिने हाथों में अनुक्रम से गदा, चक्र, अङ्कुश, बाण, शक्ति, सुदर्शन चक्र,