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देवतामूर्ति-प्रकरणम् .
133 जैसा, पश्चिम तरफ का मुख स्त्री के मुख जैसा और उत्तर तरफ का वाराह के मुख जैसा बनाना।
Vaikunth=I shall now talk about the image of Vaikunth. He has eight arms and is immensely strong. Seated on Taksharya (Garuda), Vaikunth should be portrayed with four faces by devotees desiring peace. (91).
____His four.right hands hold a mace, a sword, an arrow, and a disc; while his left oncs possess a conchshell, a kheta or shicld, a bow, and a lotus (92). Of his four faces, the front-facing visage is like a man, the one to the south like Narsingh, the westward facing one like a woman and the one to the north like Varah. (93). विश्वरूप
सुतेजसं विश्वरूपं विश्वशं सृष्टिकारकम् । तस्य चानुक्रमं वक्ष्ये विंशद्भिर्हस्तकैर्युतम् ॥९४ ॥ पताका-शङ्खौ च हलं वज्रमंकुश-सायकौ। चक्रं बीजक' वरदौ दक्षिणेषु करेषु च ॥९५॥ . पंताका दण्डपाशौ च गदाशार्ङ्गविधृत्करम्। ‘पद्मं श्रृंगी च कुमुद-मक्षमाला तथैव च ॥१६॥ योगमुद्रा करद्वन्द्वे वैनतेयोपरि स्थितम्।। नरं च नारसिंहं च स्त्रीमुखं शूकराननम् ॥९७॥
विश्वरूप देव महातेजस्वी, विश्व को जानने वाला और सृष्टि का करने वाला है। उसके बीस भुजाएँ हैं, उनमें धारण करने वाले शस्त्रों को अनुक्रम से कहता हूँ-दाहिनी भुजाओं में ध्वजा, शङ्ख, हल, वज्र, अङ्कुश, बाण, चक्र, बीजोरु
और वरदान है। बाँयी भुजाओं में क्रम से पताका, दण्ड, पाश, गदा, धनुष, पद्म, श्रृंगी (पर्वत) कमल और अक्षमाला है। दोनों तरफ के एक-एक हाथ योग मुद्रा
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मु. तुझं च।
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