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उववाइय सुत्तं सू० १०
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were free from any cavity whatsoever, strong, closely set, shining and beautiful in shape. Although the rows contained many teeth, the setting was however so perfect that the whole thing looked like a single piece. The palate and the lower portion of the tongue were always free from dirt as if just washed, red like a filame or pure gold. His beard and moustache never grew longer (but always remained the same). His chin was fleshy, with beautiful shape, broad and wide like the chin of a tiger.
चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबु-वर - सरिस - ग्गीवे वर - महिस - वराह - सोह-सद्द ल-उसभ-नाग-वर-पडिपुण्ण-विउल-क्खंधे जुग-सन्निभ-पीणरइय-पोवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-घण-थिर-सुबद्ध-संधि पुरवर-फलिह-वट्टिय-भुए भुअ-ईसर-विउल-भोग-आदाण पलिह-उच्छूढदीह-बाहू - रत्त - तलोवइय - मउअ - मंसल सुजाय लक्खण - पसत्थ - अच्छिद्द-जाल-पाणी-पिवर-कोमल-वरंगुली आयंव-तंब - तलिण - सुइरूइल - णिद्ध - णक्खे - चंद - पाणि - लेहे सूरपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसा-सोत्थिअ-पाणिलेहे चंद-सूर-संख - चक्क - दिसासोत्थिय-पाणिलेहे।
उनकी गर्दन चार अंगुल की उत्तम प्रमाण से युक्त थी, अर्थात् चौड़ी थी और श्रेष्ठ शंख के समान त्रिबलियुक्त एवं उन्नत थी, उनके कन्धे उत्तम भैंसे, सूअर, सिंह, चीते, साँढ़, तथा श्रेष्ठ हाथी के कन्धों जैसे परिपूर्णप्रमाण युक्त और विशाल थे। उनकी भुजाएँ गाड़ी के जुए या यज्ञ के खूटे के समान गोल तथा लम्बी, सुदृढ़, देखने में सुखप्रद, सुपुष्ट कलाइयों से युक्त, सुसंगत, विशिष्ट, सघन–ठोस, स्थिर, और स्नायुओं से यथावत् रूप से आबद्ध तथा नगर की आगल के समान लिये हुए थे, वे पूरे बाह ऐसे दिखाई देते थे, मानों इच्छित वस्तु को प्राप्त करने के लिये नागराज के फैले हुए विशाल-शरीर के समान उनके प्रलम्ब बाहू थे। उनके हाथ कलाई से नीचे के हाथ के भाग-तल उन्नत, कोमल, मांसल, और सुगठित थे,