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________________ 293 उववाइयः सुत्तं सू० ४२ महावीर : गौतम! वह असंख्यात समयवर्ती अन्तर्मुहूर्त कहा गया है। गौतम : भगवन् ! केवली समुद्घात कितने समय का बतलाया गया है ? महावीर : गौतम ! केवली समुद्घात-आत्मप्रदेशों को देह से निकालना, आठ समय का कहा गया है। जो इस प्रकार है-प्रथम समय में केवली अपने आत्म प्रदेशों को विस्तीर्ण कर दण्ड के आकार में करते हैं अर्थात् पहले समय में उनके आत्म प्रदेश ऊंचे एवं नीचे लोक के अन्त तक प्रसृत हो कर-दण्डाकार हो जाते हैं। दूसरे समय में वे केवली दण्डाकार में बने हुए आत्म प्रदेशों को विस्तीर्ण कर कपाट के आकार में करते हैं। अर्थात उन के आत्म प्रदेश पूर्व दिशा एवं पश्चिम दिशा में प्रसृत होकर-फैल कर कपाट के सदृश आकार धारण कर लेते हैं। तीसरे समय में केवली कपाट के आकार की तरह बने हुए उन आत्म प्रदेशों को उत्तर तथा दक्षिण दिशा में विस्तीर्ण करते हैं, जिस से वे मथानी का आकार ले लेते हैं। · अर्थात वे मन्थनाकार धारण कर लेते हैं। चौथे समय में केवली लोक के शिखर सहित इन के अन्तराल-मन्थान के आंतरों की पूर्ति हेतु आत्म प्रदेशों को विस्तीर्ण करते हैं, उन्हें पूरते हैं। पांचवें समय में केवली अन्तराल में अवस्थित आत्म प्रदेशों को प्रतिसंहत करते हैं, अर्थात उन्हें वापिस संकुचित करते हैं। छठे समय में केवली मथानी के आकार में स्थित-दक्षिण तथा उत्तर इन दोनों दिशावर्ती आत्म प्रदेशों को प्रतिसंहत कर लेते हैं। सातवें समय में केवली कपाट के आकार में अवस्थित पूर्व एवं पश्चिम दिशावर्ती आत्म प्रदेशों को प्रतिसंहत करते हैं-वापिस संकुचित करते हैं। आठवे समय में केवली दण्डाकार में अवस्थित-ऊर्ध्वलोक तथा अधोलोक के अन्त तक प्रसृत आत्मप्रदेशों को प्रतिसंहत करते हैं। उस के बाद वे केवली (पूर्ववत ) शरीरस्थ हो जाते हैं। Gautama : Bhamte ! How many time-units are taken in ävarjikarana ? Mahāvira : Gautama! Innumerable time-units. Gautama : Bhante! How many time-units are taken in kevali-samudghata?
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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