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उववाइय सुत्तं सू० ३१
151 होकर ऐसे व्यक्तियों द्वारा जिनके हाथों एवं पैरों के तलुए अत्यधिक सुकुमार एवं कोमल थे, जो छेक-अवसरज्ञ, कलाविद्-बहत्तर कलाओं के ज्ञाता, दक्ष-अविलम्ब कार्य संपादन में सक्षम, प्राप्तार्थ-उस विषय के आचार्य से उस कला में शिक्षाप्राप्त या कुशल, मेधावी-उर्वर प्रतिभा का धनी या अपूर्व विज्ञान को ग्रहण करने की शक्तिवाले, संवाहन कला में दक्षताप्राप्त अर्थात् तत्सम्बद्ध क्रिया-प्रक्रिया के मर्मज्ञ, अभ्यंगन-तैल आदि स्बटन आदि के मर्दन, परिमर्दन- तैल आदि को अंगों के भीतर तक पहुँचाने के लिये किये जाने वाले मर्दन विशेष, उद्वलन--उलटे रूप में, नीचे से ऊपर, अथवा उलटे राओं से किया जाने वाला मर्दन, इस विशेषमर्दन से जो गुण, लाभ होते हैं, उनको निष्पादित करने में सक्षम थे। हड्डियों के लिये सुखप्रद, मांस हेतु सुखप्रद, चमड़ी के लिये सुखप्रद, एवं रोओं के लिये सुखप्रद, यों चार प्रकार से मालिश करवाई, देहचंपी करवाई, और शरीर को दबवाया। कूणिक राजा इस प्रकार थकावट, व्यायाम जनित शरीर की अस्वस्थता 'विशेष दूर हो जाने पर व्यायामशाला से बाहर निकला। व्यायामशाला से बाहर निकल कर, जहाँ स्नानगृह था, वहाँ आया, वैसा कर--आकर स्नानघर में प्रवेश किया।
Then he applied to his body oils named satapāka and sahasrapāka and creams which restored balance among the physical elements, imparted physical strength, excited the senses, improved the muscles and gave joy to all the sense-organs. Then he sat on a mat and had his body massaged by experts which gave comfort to the 'bones, to the muscles, to the skin and to the pore-bairs. These massagists were trained in their art, were quick in their application, had received guidance from competent persons, were dexterous and talented. They know how to apply oil to the body, how to rub it in and how to rub it in reverse order. Thus relieved of his physical exhaustion and weariness, king Kūņika came out of the gymnasium, till he arrived at his bathroom and entered into it.
अणुपविसित्ता समुत्तजालाउलाभिरामे विचित्तमणिरयण