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Uvavaiya Suttam Su. 19
करना । तज्जात-संसृष्टचर्या - दिये जाने वाले पदार्थ से संभृत–लिप्त हाथ आदि से दिये जाने वाले आहार को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करना । अज्ञातचर्या - अपने को अपरिचित रख कर निरवद्य भिक्षा स्वीकार करने की प्रतिज्ञा करना । मौनचर्या – स्वयं मौन रह कर भिक्षा ग्रहण करने का अभिग्रह - प्रतिज्ञा लेना । दृष्टलाभ - दिखाई देता आहार लेने की प्रतिज्ञा स्वीकार करना या पूर्व काल में देखे हुए दाता के हाथ से भिक्षा स्वीकार करने की प्रतिज्ञा लेना । अदृष्टलाभ - पूर्व काल में नहीं देखा हुआ आहार या पहले नहीं देखे हुए दाता द्वारा दिया जाता आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा लिये रहना ।
करने की
बिना पूछे ही दी जाने
भिक्षालाभ - भिक्षा
अभिग्रह - प्रतिज्ञा
कर लाया हो उस
पृष्टलाभ - 'श्रमण, आपको क्या आहार दें, यों पूछ कर दिया जाने वाला आहार ग्रहण प्रतिज्ञा स्वीकार करना । अपृष्ट लाभ वाली भिक्षा ग्रहण करने की प्रतिज्ञा लेना । मांग कर लाये हुए तुच्छ आहार ग्रहण करने का स्वीकार करना अथवा दाता जो भिक्षा में मांग भोजन में से आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा किये रहना । अभिक्षालाभभिक्षा-लाभ से विपरीत आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा रखना। अन्नग्लायक — रात का ठंडा-बासी आहार में से भिक्षा लेने की प्रतिज्ञा करना । उपनिहित - भोजन करते हुए गृहस्थ के समीप रखे हुए आहार में से भिक्षा स्वीकार करने की प्रतिज्ञा पातिक - अल्प आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा लिये शंका आदि दोषों से रहित या व्यञ्जन आदि से रहित शुद्ध आहार लेने की प्रतिज्ञा स्वीकार करना । संख्यादत्तिक - पात्र में आहार-क्षेपण - डालने की सांख्यिक मर्यादा के अनुसार भिक्षा ग्रहण करने की प्रतिज्ञा रखना या कटोरी, कड़छी आदि द्वारा पात्र में डाली जाती भिक्षा की अविच्छिन्न धारा - की मर्यादा के अनुरूप भिक्षा लेने की प्रतिज्ञा करना । यह भिक्षाचर्या का स्वरूप है ।
करना ।
परिमित - पिण्ड
रहना ।
शुद्धैषणिक
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What is it to live on alms ?
or
It has many types, such as, related to object, related to space, related to time and related to cognition ; one related to living on food obtained from the householder's own dish ; or one living on food before any