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________________ ( ix ) था। अम्बड़ के लिये यह विशेष उल्लेख भी है कि भवान्तर में वह सिद्धि स्थान प्राप्त होगा। इस उपांग में जहाँ एक ओर राजनैतिक और नागरिक तथ्यों की चर्चा है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक, दार्शनिक एवं सांस्कृतिक तथ्यों का भी सजीव एवं सरस प्रतिपादन उपलब्ध है। प्रस्तुत संस्करण। इस महत्वपूर्ण आगम के मूल, संस्कृत व्याख्या, हिन्दी एवं गुजराती अनुवाद के साथ कई संस्करण निकल चुके हैं, किन्तु हिन्दी सह अंग्रेजी अनुवाद का कोई संस्करण अभी तक नहीं निकला है। अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के अध्येता भी इस ग्रन्थ की मौलिकता का रसास्वादन कर सकें, इसी दृष्टि से यह संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। __हमारे अनुरोध को स्वीकार कर श्री रमेशमुनिजी शास्त्री, काव्यतीर्थ, जैन सिद्धान्ताचार्य ने इसका हिन्दी भाषा में शब्दशः अनुवाद किया है । श्री रमेशमुनिजी उपाध्याय-प्रवर श्री पुष्करमुनिजी म० के शिष्य हैं और . व्युत्पन्न तथा प्रतिभासम्पन्न विद्वान् हैं। इस अनुवाद की भाषा में प्रवाह और प्रांजलता दोनों ही विद्यमान हैं। मुनिश्री ने व्यस्त रहने पर भी इस • ग्रन्थ का हमारे कहने पर अनुवाद किया उसके लिए उनके प्रति हम हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। . अंग्रेजी भाषा के अनुवादक हैं स्व० प्रो० कस्तूरचन्दजी ललवानी। ललवानीजी डिपार्टमेन्ट अव ह्य मनिटिज, आइ आइ टी, खड़गपुर के . अर्थशास्त्र के प्राध्यापक थे। अर्थशास्त्र के प्राध्यापक होते हुए भी दर्शन शास्त्र और प्राकृत एवं अंग्रेजी भाषा के भी विद्वान थे। वे सुसंस्कार सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी भी थे। अनुवाद कला में सिद्धहस्त थे । अंग्रेजी अनुवाद के साथ उनकी दशवकालिक, कल्पसूत्र, उत्तराध्ययन, भगवती सूत्र, आदि अनेक पुस्तकें पूर्व में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने प्रस्तुत अनुवाद भी प्रकाशनार्थ हमें · दे दिया था, किन्तु खेद है कि हम इसे समय पर प्रकाशित नहीं कर पाये और इस बीच वे हमारे मध्य से उठ गये, स्वर्गस्थ हो गये; अतः श्रद्धांजलि के साथ हम उनका आभार प्रकट करते हैं।
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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