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________________ 7 -शाम के पच्चक्खाण पाप्राहार, दिवसचरिमं, पच्चक्खाई, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरई । पाणहार चउविहार- तिविहार- दुविहार दिवसचरिमं पच्चक्खाई चउव्विहंपि आहारं, तिविहंपि आहारं, दुविहंपि आहारं असणं, पाणं, खाईमं, साईमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरई । (पच्चक्खाण करनेवाले पच्चक्खामि एवं बोसिरामि शब्द बोलें) पच्चक्रवाण पारने के सूत्र नवकारसी, पोरिसि, साडूपोरिसी, पुरिमड्ड, अवड पच्चक्खाण पारने के सूत्र उग्गए सूरे नवकारसी, पोरिसि, साइपोरिसी सूरं उग्गए पुरिमड्ड, अवड्ड (जो पच्चक्खाण हो वहाँ तक बोले) मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाण कर्तुं चउविहार पच्चक्खाण फासिअं, पालिअं, सोहिअं, तिरिअं, किट्टिअं, आराहिअं, जं च न आराहिअं तस्स मिच्छामि दुक्कडं. आयंबिल - निवि-एकासणा- बियासणा के पच्चक्खाण पारने के सूत्र " उग्गए सूरं नवकारसी, पोरिसी, साडपोरिसि, सूरे उग्गए पुरिमड्ड, अवड्ड (जो पच्चक्खाण हो वहाँ तक वोले) मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाणं कर्तुं चउविहार, आयंबिल - निवि- एकासणुं वियासणुं (जो पच्चक्खाण हो वहाँ तक बोले ) पच्चक्खाण कर्तुं तिविहार पच्चक्खाण फासिअं, पालिअं, सोहिअं, तिरिअं, किट्टिअं, आराहिअं, जं च न आराहिअं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं (आयंबिल या निवि के पच्चवखाण पारते वक्त 'एकासणं' भी बोलें) (ठाम चउविहार किया हो तो तिविहार के स्थान पर चउविहार बोलें. ) . तिविहार उपवास, छठ्ठ, अठ्ठम वगेरे पारने के सूत्र सूरे उग्गए. उपवास, छठ्ठ, अठ्ठम (जो पच्चक्खाण हो वहाँ तक बोले ) कर्यो तिविहार पोरिसी, साट्टुपोरिसी, पुरिमड्ड, अवड्ड (जो पच्चक्खाण हो वहाँ तक बोले ) मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाण कर्यु पाणहार पच्चक्खाण, फासिअं, पालिअं, सोहिअं, तिरिअं किट्टिअं, आराहिअं जं च न आराहिअं तस्स मिच्छामि दुक्कडं. (एक से अधिक उपवास हो तो दूसरे दिन से यह पाठ बोलें) मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाण कर्यु पौणहार पच्चक्खाण फासिअं, पालिअं, सोहिअं, तीरिअं, कीट्टिअं आराहिअं, जं च न आराहिअं तस्स मिच्छामि दुक्कडं. पच्चक्खाण पारने के बाद एक नवकार बोले..
SR No.002214
Book TitlePacchkhan Margdarshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvindsagar
PublisherShantidham Jain Tirth
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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