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________________ any momentinenement ) नं. नाम भा. कि.नं. नाम भा. कि. 61. मिच्छामि दुक्कडम् हि. 12|68. भक्ति से मुक्ति हि. 42 62. आत्म साधना के पथ पर हि. 15/69. आओ ! श्रावक बने हि. . - 63. भव आलोचना हि. -70. प्रभु दर्शन सुख संपदा हि. - 64. विविध तप माला हि. 20/71. Yauth will Hin them 65. आओ प्रतिक्रमण करे हि. 25/72. How to Live True Life ___E. 20 66. आओ पर्युषण करे हि. 55|73. Panch Pratikram sutra E . 25 67. शत्रुजय यात्रा हि. 25 E. 25 15 श्री पूर्णानन्द प्रकाशन श्री जैन शासन सेवा ट्रस्ट, धरणेन्द्र एम. शाह, प्रेरणा विराज-2 A/204, जोधपुर गाम, चंदनपार्टी प्लोट सामे, सेटेलाईट अमदावाद-15 फोन नं. : (079) 26917029 लेखक : गणिवर श्री नयचंद्र सागरजी म.सा. नं. नाम भा. कि.नं. नाम । भा. कि. 1. वर्धमान विद्याकल्प सं. 100|12. ठाणांग सूत्र भा.2 प्रत सं. 15 2. दीक्षा विधी गु. 20|13. आवश्यक सूत्र न.1 प्रत सं. 15 3. संघयात्रा विधि गु. 20|14. आवश्यक सूत्र भा.2 प्रत सं. 15 4. उपधान विधी गु. 40|15. आध्यात्म मत परीक्षा सं. 15 5. यति दिनचर्या वाचना गु. -16. आवश्यक सूत्रम् भा. 3. 6. पल पल समरो नवकार गु. - 17. आचारांग सूत्र चूर्णीः 7. शब्द रुपावलिः गु -18. औपपातिक सूत्रम् 8. भगवती सूत्र भा.1 प्रत सं. 20|19. चतु शरणादि प्रकीर्णक 9. भगवती सूत्र भा.2 प्रत सं. 20 |20. गच्छापार प्रकीर्णक 10. भगवती सूत्र भा.3 प्रत सं. 20 21. षडावश्यक सूत्राणि 11. ठाणांग सूत्र भा.1 प्रत सं. 15 Bea seskiimstimum OBERatoercrocheneooooooo000 440
SR No.002209
Book TitleJain Sahitya Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnatrayvijay
PublisherRanjanvijay Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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