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________________ श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध जिट्टे भाया-ज्येष्ट भ्राता। कासवगुत्तेणं-काश्यप गोत्री का। नंदिवद्धणे-नन्दीवर्द्धन नाम था। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान की। जेट्ठा भइणी-ज्येष्ठ बहन। कासवगुत्तेणं-काश्यप गोत्रीया का। सुदंसणा-सुदर्शना नाम था। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान महावीर की। भज्जा-भार्या। कोडिन्नागुत्तेणं-कौडिन्य गोत्रीया का। जसोया-यशोदा नाम था। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान महावीर की। धूया-पुत्री । कासवगोत्तेणं-काश्यप गोत्रीय थी। तीसे णं-उसके। दो नामधिज्जा-दो नाम । एवमाहिजंति-इस प्रकार कहे जाते हैं। अणुज्जा इवा-अनोज्जा इति।पियदसणाइ वा-प्रियदर्शना इति अर्थात् अनोजा और प्रियदर्शना ये दो नाम थे। समणस्स भगवओ महावीरस्स-श्रमण भगवान् महावीर की। नत्तुई-दौहित्री। कोसियागुत्तेणं-कौशिक गोत्र वाली थी। तीसेणं-उसके। दो नामधिज्जा एवमा०-दो नाम इस प्रकार कहे गए हैं। तं-जैसे कि। सेसवई इ वा-शेषवती इति और। जसवई इ वा-यशवती इति। मूलार्थ-काश्यपगोत्रीय श्रमण भगवान् महावीर के इस प्रकार से तीन नाम कहे गए.. हैं- माता-पिता का दिया हुआ वर्द्धमान, स्वाभाविक समभाव होने से श्रमण और अत्यन्त भयोत्पादक परीषहों के समय अचल रहने एवं उन्हें समभाव पूर्वक सहन करने से देवों के द्वारा प्रणिष्ठित महावीर। श्रमण भगवान् महावीर के काश्यपगोत्रीय पिता के सिद्धार्थ, श्रेयांस और यशस्वी ये तीन नाम थे। श्रमण भंगवान महावीर की वासिष्ठ गोत्र वाली माता के त्रिशला, विदेह-दत्ता और प्रियकारिणी ये तीन नाम थे। श्रमण भगवान महावीर के पितृव्य-पिता के भाई का नाम सुपार्श्व था, श्रमण भगवान महावीर स्वामी के काश्यपगोत्री ज्येष्ठ भ्राता का नाम नन्दीवर्द्धन था। भगवान की ज्येष्ठ भगिनी का नाम सुदर्शना था। भगवान की भार्या-जो कि कौडिन्य गोत्र वाली थी-का नाम यशोदा था। भगवान की पुत्री के अनोजा और प्रियदर्शना ये दो नाम कहे जाते हैं तथा श्रमण भगवान महावीर के दौहित्री जिसका-कौशिक गौत्र था-के शेषवती और यशवती ये दो नाम थे। __हिन्दी विवेचन- प्रस्तुत सूत्र में भगवान के नाम एवं परिवार का परिचय दिया गया है। भगवान के वर्द्धमान, श्रमण और महावीर इन तीन नामों का उल्लेख किया गया है। वर्द्धमान नाम मातापिता द्वारा दिया गया था। और दीक्षा ग्रहण करने के बाद भगवान की समभाव पूर्वक तपश्चर्या करने की प्रवृत्ति थी, उससे उन्हें श्रमण कहा गया और देवों द्वारा दिए गए घोर परीषहों में भी वे आत्म चिन्तन से विचलित नहीं हुए तथा उन्हें समभाव पूर्वक सहते रहे, इससे उन्हें महावीर कहा गया। आगमों में एवं जन साधारण में उनका यही नाम अधिक प्रचलित रहा है। और आज भी वे महावीर के नाम से संसार में विख्यात हैं। भगवान महावीर के पिता के तीन नाम थे- सिद्धार्थ, श्रेयांस और यशस्वी। उनकी माता के त्रिशला, विदेहदत्ता और प्रियकारिणी ये तीन नाम थे। उनके पिता के भाई का नाम सुपार्श्व था और उनके बड़े भाई का नाम नंदीवर्द्धन था। उनके सुदर्शना नाम की एक ज्येष्ठ बहन थी। उनकी पत्नी का नाम यशोदा . है। उनकी पुत्री के अनोजा और प्रियदर्शना ये दो नाम थे, जिसका विवाह जमाली के साथ किया गया था। उनके एक दौहित्री भी थी, जिसके शेषवती और यशवती ये दो नाम थे। इस तरह से भगवान महावीर का विशाल परिवार था।
SR No.002207
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size13 MB
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