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प्रथम अध्ययन, उद्देशक ९
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मूलम्- से भिक्खू वा॰ बहुपरियावन्नं भोयणजायं पडिगाहित्ता, बहवे साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया समणुन्ना अपरिहारिया, अदूरगया, तेसिं अणालोइय अणामंतिय परिट्ठवेइ माइट्ठाणं संफासे, नो एवं करिज्जा, से तमायाए तत्थ गच्छिज्जा २ से पुव्वामेव आलोइज्जा आउसंतो समणा ! इमे मे असणे वा पाणे वा ४ बहुपरियावन्ने तं भुंजह णं, से सेवं वयंतं परो वइज्जाआउसंतो समणा ! आहारमेयं असणं वा ४ जावइयं २ सरइ तावइयं २ भुक्खामो वा पाहामो वा, सव्वमेयं परिसडइ सव्वमेयं भुक्खामो वा पाहामो वा ॥ ५४ ॥
छाया - स भिक्षुर्वा० बहुपरियापन्नं भोजनजातं प्रतिगृह्य बहवः साधर्मिकाः तत्र वसन्ति सांभोगिका समनोज्ञा अपरिहारिका अदूरगताः तेषाम् अनालोच्य अनामन्त्र्य परिष्ठापयेत्, मातृस्थानं संस्पृशेत्, नैवं कुर्यात्, स तदादाय तत्र गच्छेत् २ ( गत्वा च ) स पूर्वमेव, आलोचयेत् - आयुष्मन्तः श्रमणाः ! एतत् मम अशनं वा पानं वा बहुपर्यापन्नं तभुंगध्वम्, तस्य चैवं वदतः परो वदेत्-आयुष्मन्तः श्रमणाः ! आहार एषः अशनं वा ४ यावन्मात्रं शक्नुमः तावन्मात्रं भोक्ष्यामहे वा पास्यामो वा, सर्वमेतत् परिशटति सर्वमेतत् भोक्ष्यामहे वा पास्यामो वा ।
पदार्थ - से वह । भिक्खू वा० - साधु अथवा साध्वी गृहपति कुल में प्रवेश करने पर । परियावन्नंप्राप्त हुए। बहुभोयणजायं-बहुत से भोजन को । पडिगाहित्ता-लेकर के अपने स्थान पर आए। यदि वह ह अधिक हो तो साधु । तत्थ - उस ग्राम आदि में । बहवे बहुत से | साहम्मिया - स्वधर्मी । संभोइया- संभोगी साधु । समणुन्ना-अपने समान आचार वाले जो कि । अपरिहारिया - त्यागने योग्य नहीं हैं अर्थात् शुद्ध आचार वाले हैं तथा । अदूरगया-अपने उपाश्रय से दूर नहीं हैं। वसंति-निवास करते हों । तेसिं- उनको । अणालोइय- बिना पूछे । अणामंतिय-बिना निमन्त्रित किए यदि । परिट्ठवेइ - आहार को परठे-बाहर फैंक दे तो उसे। माइट्ठाणं-मातृ स्थान का। संफासे- स्पर्श होता है, अतः । नो एवं करिज्जा- वह इस प्रकार न करे किन्तु । से- वह भिक्षु । तमायाएउस आहार को लेकर। तत्थ वहां पर । गच्छिज्जा जाए जहां सन्त ठहरे हुए हैं और वहां जाकर । से - वह भिक्षु । पुव्वामेव- पहले । आलोइज्जा - उन्हें उस आहार को दिखाए और दिखाकर इस प्रकार कहे। आउसंतो समणाआयुष्मन्त श्रमणो ! इमे- - यह । असणे वा पाणे वा आहार और पानी । मे मेरे प्रमाण से । बहुपरियावन्ने - बहुत अधिक है। तं-इस आहारादि का । भुंजह-अ - आप भी उपयोग करें। सेवं वयंतं - इस प्रकार कहते हुए उस साधु के प्रति। से परो- कोई दूसरा साधु । वइज्जा - बोले । आउसंतो समणा - आयुष्मन् श्रमण ! आहार । मेयं यह आहार । असणं वा ४- अशनादिक चतुर्विध । जावइयं- यावन्मात्र - जितना । सरइ - हमसे खाया जाएगा। तावइयं २ - तावन्मात्र - उतना । भुक्खामो वा- हम खाएंगे तथा । पाहामो वा पीएंगे अथवा । सव्वमेयं यदि यह सब । परिसडइ-खाया गया तो । सव्वमेयं - यह सब । भुक्खामो वा - खा लेंगे। पाहामो वा - और सब पी लेंगे।
मूलार्थ - साधु अथवा साध्वी गृहपति कुल में प्रवेश करने पर गृहस्थ के घर से बहुत सा