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प्रथम अध्ययन, उद्देशक ८
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के कारण साधु के लिए अग्राह्य हैं। इस तरह साधु को सब्जी ग्रहण करते समय उसकी सचित्तता एवं अचित्तता का सूक्ष्म अवलोकन करके ग्रहण करना चाहिए । इस तरह प्रासुक सब्जी ग्रहण करने पर ही उसका अहिंसा महाव्रत निर्दोष रह सकता है । अस्तु साधु के लिए अप्रासुक, अनेषणीय सब्जी ग्रहण करने का निषेध किया गया है।
'त्तिबेमि' का अर्थ पूर्ववत् समझना चाहिए।
॥ अष्टम उद्देशक समाप्त ॥