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प्रथम अध्ययन, उद्देशक ७ बाहुं वा उरुं वा उदरं वा शीर्ष वा अन्यतरत् काये इन्द्रियजालं लूषयेत्-विराधयेद् वा प्राणिनो वा ( भूतानि, जीवान्, सत्वान् वा) अभिहन्याद् वा वित्रासयेद् वा लेषयेद् वा संघर्षयेद् वा संघट्टयेद् वा, परितापयेद् वा, क्लामयेद् वा स्थानात् स्थानं संक्रामयेद् वा, तत् तथाप्रकारं मालाहृतं, अशनं वा ४ लाभे सति न प्रतिगृण्हीयात्। स भिक्षुः वा २ यावत् (प्रविष्टः) सन् अथ यत् जानीयात्-अशनं वा ४ कोष्टिकातः अधोवृत्तखाताकाराद् वा असंयतः भिक्षुप्रतिज्ञया उत्कुब्ज्य अवकुब्न्य अवहृत्य, आहृत्य दद्यात् तथाप्रकारं अशनं वा ४ लाभे सति न प्रतिगृण्हीयात्।
पदार्थ-से-वह। भिक्खू वा २- साधु अथवा साध्वी। से जं.-आहार के निमित्त गृहस्थ के घर में प्रवेश करने पर यदि यह जाने कि ।असणं वा ४-अशनादि चतुर्विध आहार जो कि।खंधंसि वा-भीत-दीवार पर रखा हुआ। थंभंसि वा-स्तम्भ पर रखा हुआ। मंचंसि वा-अथवा मञ्चक पर। मालंसि वा-माल-मकान की मंजिल पर। पासायंसि वा-प्रासाद-महल पर। हम्मियतलंसि वा-प्रासाद की भूमि पर।अन्नयरंसि वा-अथवा अन्य कोई। तहप्पगारंसि-इसी प्रकार के।अंतलिक्खजायंसि-अन्तरिक्ष जात में (जहां पर सीढ़ी लगाकर पदार्थ उतारा जाता है उसको अन्तरिक्ष जात कहते हैं) उवनिक्खित्तेसिया-रखा हुआ हो। तहप्पगारं-इस प्रकार। मालोहडं-ऊपर रखे गए पदार्थों को ऊपर से उतार कर दे रहा है, तो। असणं वा ४-ऐसा अशनादिक चतुर्विध आहार है उसे। अफासुयं-अप्रासुक जानकर। नो०-साधु ग्रहण न करे। केवली बूया-केवली भगवान कहते हैं कि।आयाणमेयं-यह कर्म आने का मार्ग है जो कि । असंजए-असंयत गृहस्थ। भिक्खुपडियाए-अर्थात् साधु को आहार देने के लिए। पीढं वा-पीठ चौकी आदि को। फलगं वा-पट्टे को। निस्सेणिं वा-अथवा सीढ़ी को, उदूहलं वा-या ऊखल को। आह?-लाकर। उस्सविय-ऊंचा करके। दुरूहिज्जा-चढ़े और। से-उस गृहस्थ का। तत्थ-उस स्थान पर। दुरूहमाणे-चढ़ते हुए। पयलिज वा-पांव फिसल जाए। पवडिज्ज-अथवा वह गिर पड़े। से-वह गृहस्थ। तत्थ-उस स्थान पर। पयलमाणे वा-फिसलता हुआ अथवा गिरता हुआ अर्थात् उसके फिसलने या गिरने से उसका। हत्थं वा-हाथ। पायंवा-पैर। बाहुं वा-भुजा। उरुं वा-उरु-सत्थल। उदरं वा-पेट। सीसं वा-शीर्ष-सिर में अथवा। अन्नयरंसि वा कायंसि-शरीर के किसी अन्य। इंदियजालं-अवयव विशेष को। लसिज वा-दोष प्राप्त हो अर्थात टट जाए और उसके गिरने से। पाणाणि वा ४-प्राणी, भत, जीव और सत्त्वों का। अभिहणिज वा-अवहनन होता है। वित्तासिज वा-वह उन्हें त्रास दे। लेसिज वा-भूमि से संश्लिष्ट करे। संघसिज्ज वा-संघर्षित करे। संघट्टिज वा-संघट्टा करे अथवा। परियाविज वा-परितापना दे। किलामिज वा-पीड़ा दे। ठाणाओ ठाणं-एक स्थान से दूसरे स्थान पर। संकामिज वा-संक्रमण करे। तंइसलिए। तहप्पगारं-तथा प्रकार के। मालोहडं-ऊंचे स्थान से उतारा हुआ। असणं-वा ४-अशनादि चतुर्विध आहार। लाभे संते-मिलने पर भी। नो पडिग्गाहिज्जा-ग्रहण न करे। से-वह। भिक्खू वा-भिक्षु-साधु या साध्वी। जाव समाणे-यावत् गृहस्थ के घर में प्रवेश करने पर। से जं-यदि, ऐसा जाने कि। असणं वा ४अशनादिक चतुर्विध आहार को। कुट्ठियाओ वा-मिट्टी की कोठी से। कोलेजाओ वा-अधोवत-नीचे के प्रकोष्ठ विशेष से।अस्संजए-गृहस्थाभिक्खुपडियाए-भिक्षु के निमित्त। उक्कुजिय-झुक कर।अवउजिय