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________________ श्रुतस्कंध) के प्रकाशन के पश्चात् श्री विपाकसूत्रम्, श्री दशाश्रुतस्कन्ध सूत्रम्, श्री नन्दी सूत्रम् आदि आगम शीघ्र प्रकाश में आने संभाव्य हैं। कार्य की इस द्रुतगामिता में आचार्य देव का शुभाशीष और श्रावक समाज का समर्पण ही मूल कारण रहा है। मुनिवर श्री शिरीष जी का एकनिष्ठ समर्पण भी इस कार्य की सतत सफलता का एक प्रमुख कारण रहा है। उनके अतिरिक्त उपाध्याय श्री रमेश मुनि जी म०, प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. आदि वरिष्ठ मुनिराजों का सहयोग तथा उप० प्र० श्री कौशल्या जी म०, उप० प्र० श्री सरिता जी म०, उप० प्र० श्री रविरश्मि जी म० आदि श्रमणी मण्डल का सहयोग भी विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है। विश्रुत पण्डित श्री ज० प० त्रिपाठी तथा विनोद शर्मा का भी मूल प्रति पठन, प्रूफ पठन तथा प्रकाशन में पूर्ण समर्पण रहा है। समस्त व्यक्त-अव्यक्त सहयोगियों को साधुवाद। - आचार्य शिवमुनि
SR No.002207
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size13 MB
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