SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका. नंबर. विषय १ उपोद्घात् - श्री पार्श्वजिन, सिद्ध जगवान, साधु सम्यग्दृष्टिनी स्तुति ; मिथ्या दृष्टि, श्रात्मsor, ग्रंथ गौरव तथा महीमा, कविसामर्थ्य, अनुजव लक्षण तथा महीमा, षट्द्रव्य तथा नवतत्त्व, - एनुं वर्णन; नाम माला; ग्रंथमां कड़ेवानांबार द्वारनां नाम: मंगलाचरण नमस्कार; जगवानी वाणीने नमस्कार, श्रादिपद५४ २ बार द्वार अधिकार वर्णन - पद २७५ १ जीव द्वार पद ३२ २ जीव द्वार पद १४ ३ कर्त्ता क्रियाकर्म द्वार पद ३५ ६ संवर द्वार पद ११ 9 निर्जराद्वार पद ६० ८ बंध द्वार पद ५८ मोक्षद्वार पद ५३ १० सर्व विशुद्धिद्वार पद १२० ११ स्याद्वाद द्वार पद ४१ (अंतर्गत ग्रंथमहीमा. नवरस, नयइ० ) २१ १३६ ४ पुण्य-पाप एकत्व कथन द्वार पद १६ अध्यात्म अधिकार साथे श्राश्रवद्वार पद १६ १५२ १६ पद ए‍ ४ चतुर्दश गुणस्थानकस्वरूप; कायिक सम्यकत्वादि तथा श्रावकनी एकादश प्रतिमानां लक्षणादि पद १०८ ५ ग्रंथ तथा ग्रंथकर्त्तानी प्रशस्ति वगेरे पद ४१ पदसंख्या. १- ५४ ५५-५१० մա Jain Education International 69 კედ २३७ 3Uე ३५० १२ साध्य साधक वस्तु स्वरूप द्वार पद ५२ ५१८ ३ श्री अमृतचंद्राचार्यनी श्रालोचना; श्री बनारसी दासनी जिनेंद्र प्रतिमानी स्तुति तथा स्वकथनी ᏲᏏᏒ ५११-२७ए For Private & Personal Use Only ५०० - ६०७ ६०० - १२० पृष्टांक. ५७७-२००४ २०४-१६५ იდე ६० ६१४ ६२ ६३६ ६४१ ६४४ ६६५ ६८७ १०४ ७३६ १५० तजख ७६० व करवाने : मार्गने देखा 4 करी श्रमित www.jainelibrary.org
SR No.002165
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages228
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy