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सकते हैं ।
[ जैन आगम : एक परिचय
आगम के पर्यायवाची शब्द
आगमों के लिए ' आगम' शब्द तो बाद में प्रचलित हुआ पहले इस ज्ञान भण्डार के लिए 'सुय' अथवा 'श्रुत' शब्द का व्यवहार होता था । 'सुय' अथवा 'श्रुत' का शाब्दिक अर्थ है 'सुना हुआ' । अर्थात् तीर्थंकरदेव के श्रीमुख से सुना हुआ ज्ञान 'सुय' कहलाता था। चूँकि यह ज्ञान गुरु- परम्परा से सुनकर चलता था इसलिए भी ' श्रुत' अथवा 'सुय' कहलाता था । 'सुय' शब्द को ही कुछ संस्कृत व्याकरण - शास्त्रियों ने 'सूत्र' रूप दे दिया । 'श्रुत' शब्द के आधार पर ही प्राचीन काल में ' श्रुतधर' और 'श्रुतकेवली' आदि शब्द प्रचलित थे ।
सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, प्रवचन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापन, श्रुत आदि शब्द आगम के ही पर्यायवाची नाम हैं ।
'आगम' शब्द की व्युत्पत्ति एवं परिभाषा
आगम शब्द 'आ' उपसर्ग और 'गम्' धातु से बना है । 'आ' का अर्थ है - समन्तात् अथवा पूर्ण; और 'गम्' का अर्थ है - गति अथवा प्राप्ति; अर्थात् पूर्णता की प्राप्ति ।
आगम शब्द की परिभाषा बताते हुए रत्नाकरावतारिकावृत्ति में कहा गया है कि 'जिससे वस्तुतत्त्व ( पदार्थरहस्य) का परिपूर्ण ज्ञान हो, वह आगम है ।' और न्यायसूत्र में आप्त के कथन को आगम माना गया है ।
जैनदृष्टि से आप्त राग-द्वेषविजेता, जिन, सर्वज्ञ भगवान को
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