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[जैन आगम : एक परिचय आज जो भी आगम उपलब्ध हैं, वे सब देवर्द्धिगणी की दूरदर्शिता और उपकार-भावना के परिणाम हैं । उन्होंने ही आगमों को लिपिबद्ध करके वीर-वाणी की रक्षा का स्तुत्य प्रयास किया।
__ आगमों की संख्या मान्यता में भेद आगमों की सूची जो नन्दीसूत्र में दी गयी है, वे सभी आगम आज हमें उपलब्ध नहीं है। द्वादश अंगों को तो सभी स्वीकार करते हैं, लेकिन अंगबाह्य आगमों की संख्या तथा उनकी मान्यता में मतैक्य नहीं है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज बारह अंगों और मूल आगमों के साथ कुछ नियुक्तियों को मिलाकर ४५ आगम मानते हैं और कुछ लोग ८४ आगम मानते हैं। तेरापंथी और स्थानकवासी परम्परा ३२ आगमों को प्रमाणभूत मानती है। __स्थानकवासी परम्परामान्य बत्तीस आगम स्थानकवासी परम्परा द्वारा प्रमाणभूत ३२ आगम निम्न हैं - अंग
उपांग आचार
औपपातिक सूत्रकृत्
राजप्रश्नीय स्थान
जीवाभिगम समवाय
प्रज्ञापना भगवती
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ज्ञाताधर्मकथा
चन्द्रप्रज्ञप्ति उपासकदशा
सूर्यप्रज्ञप्ति
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