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________________ Bhagavati Sutra Bk. 9 Ch. 32 41 - अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिण्णि पंकप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा पंचण्हं वि तियासंजोगो भाणियन्वो णवरं तत्थ एगो संचारिज्जइ इह दोण्णि। सेसं तं चेव जाव... अहवा तिण्णि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । __ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा । एवं जाव...अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा। एवं जाव...अहेसत्तमाए। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा। एवं जाक...अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा। एवं जाव...अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्क रप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा। एवं जहा चउण्हं चउक्कसंजोगो भणिओ तहा पंचण्ण वि चउक्कसंजोगो भाणियब्वो णवरं अभहियं एगो संचारेयव्वो। एवं जाव... अहवा दो पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ____ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पमाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए जाव...एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तसाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए ...एगे rirn
SR No.002133
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK C Lalwani
PublisherJain Bhawan Publication
Publication Year1985
Total Pages266
LanguageEnglish, Prakrit
ClassificationBook_English, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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