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from that of the other Agamas of Jainism, whose distinctive formulation of fundamental principles and theories, like those of space, time and matter, ahimsa and karma, atomicity and multiplicity of souls, and their evolution through states One and degrees of grossness, gets properly highlighted in it. may well hope that the present translation would attract and inspire fresh scholarship into the field of Jainology.
-K Seshadri, The Hindu, Nov 11, 1973.
समीक्ष्य सूत्र जैनों का एक सुप्रसिद्ध लोकप्रिय आगम ग्रन्थ है । इसमें श्रमण महावीर ने इन्द्रभूति गौतम को पृच्छाओं के जो उत्तर दिए थे, उनका व्यवस्थित संकलन है । इतिहास संवाद के रूप मे भी कुछ सामग्री इसमें विवृत है । 'भगवती' में संसार, कर्म, नियतिवाद पर तो युक्तियुक्त विवेचन है ही, भगवान महावीर के जीवनवृत्त और कृतित्व से सम्बन्धित सामग्री भी अकूत है । १५ वे अध्याय में अर्द्ध ऐतिहासिक सामग्री है, जिससे भगवान महावीर के जीवन, उनकी पूर्ववर्ती परम्परा और उनके भारतीय समकालीनों पर भी प्रकाश पड़ता है । 'भगवती सूत्र' ५३३ ई० में वर्तमान रूप में आया, और इधर की शताब्दी में सर्वजनसुलभ बनाने के उद्देश्य से इसके छोटे-बड़े कई संस्करण प्रकाशित हुए; यद्यपि अंग्रेजी में भी इसे लाने के प्रयास हुए किन्तु संपूर्ण भगवती सूत्र अभी अंग्रेजी में नहीं लाया जा सका है । समीक्ष्य प्रयत्न इस दिशा में एक स्पष्ट और ठोस कदम है।
भगवती सूत्र को लेकर एक विदेशी भाषा में समर्थ संप्रेषण वस्तुतः एक जटिल समस्या थी किन्तु श्री के. सी. ललवानी ने इसे सर्वोत्कृष्ट रूप में समाहित किया है । अनुवादक के अनुसार भगवान महावीर और इन्द्रभूति गौतम के प्रश्नोत्तर कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण हैं: इनकी पद्धति वैज्ञानिक है, इनमें समृद्ध पारिभाषिक शब्दावली है, और जो दृष्टान्त दिए गए हैं वे रोजमरी के जीवन से आगृहीत हैं । इस तरह भगवती सूत्र में दर्शन की उच्चकोटि की सामग्री है और भारतीय भाषाओं की पारिभाषिक समृद्धि की असीम संभावनाएं हैं ।
भगवती सूत्र प्राकृत में है, इस दृष्टि से समीक्ष्य अनुवाद सहज, स्वाभाविक और मानक अंग्रेजी में है अतः अनुवादक और प्रकाशक दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं ।
-- डा. नेमीचंद जैन, तीर्थ कर, दिसम्बर, १९७६.