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प्राक्कथन भूमिका
विषयानुक्रमणिका
प्रथम खण्ड
( कन्हैया लाल लोढ़ा )
1. अहिंसा का सकारात्मक रूप 2. करुणा और अनुकम्पा 3. सेवा
4. दान
5. वात्सल्य
6. आत्मीयता और सहानुभूति 7. सकारात्मक अहिंसा धर्म है 8. मैत्रीभाव
1. दान का महत्त्व : आचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा. 2. दान में उदारता : प्राचार्य श्री जवाहरलालजी म. सा 3. सेवाप्रधान मनुष्य- धर्म : उपाध्याय श्री अमरमुनिजी 4. जैन संस्कृति में सेवा-भाव : उपाध्याय श्री अमरमुनिजी 5. धर्म में दान को प्रथम स्थान क्यों ? :
9. मार्दव
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10. सकारात्मक अहिंसा पर आपत्तियां और उनका निराकरण 96 द्वितीय खण्ड
( अन्य विद्वान् मनीषियों के संकलित विचार )
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श्री विजयमुनिजी शास्त्री 8. हिंसा बनाम दया : महात्मा गाँधी 9. करुणा के विविध रूप : मुनि श्री भद्रगुप्तविजय जी
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उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी 6. दान और पुण्य : एक विवेचन : उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि 155 7. भारतीय साहित्य में दान की महिमा :
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