________________
(30) रात्रि में भोजन पकाने सम्बन्धी दोष रात्रि में भोजन बनाते समय दीवार आदि के सहारे रहे हुए जीवों की हिंसा होती है और ज्योति के प्रकाश में भी अन्य अनेक जीवों की हिंसा होती है। कभी खाना बनाते समय बिजली चली जाये तो अंधेरे आदि में स्वयं को शारीरिक नुकसान भी हो सकता है। उस स्थिति में हम सरकारी अधिकारियों को जैसे-तैसे भी बोल देते हैं, उससे १८ पापस्थान सम्बन्धी कई पापों का बंधन हो जाता है।
___ यह अनुभव सिद्ध है कि विद्युत् के प्रकाश में छोटे-छोटे जीव-जन्तु बिल्कुल दिखाई नहीं देते हैं, किसी चीज को साफ करके बनाना हो तो अंधेरे के कारण उसमें रहे हुए घुन, छोटे सफेद कीड़े आदि यूं ही हमारे पेट को कब्रिस्तान बना डालते हैं जिससे शारीरिक-मानसिक कई रोग पैदा हो जाते हैं और धार्मिक दृष्टि से घने कर्मों का बन्धन होता है। इसलिये रात्रि में भोजन भी नहीं बनाना चाहिये।
रात्रि में खाने सम्बन्धी दोष रात्रिभोजन करना प्रायः सभी दृष्टियों से नुकसानदायी है। हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि सूर्य प्रकाश में और दीपक के प्रकाश में बहुत बड़ा अन्तर है। सूर्य के प्रकाश में अनेक प्रकार के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं, जबकि रात के समय दीपक के चारों ओर कीटपतंगें मंडराने लगते हैं। सूर्य का प्रकाश कीट-पतंगों को दूर भगाता है, तो दीपक का प्रकाश दोनों को नजदीक लाता है इसलिये जीवदया पालन करने वाले अहिंसा प्रेमियों को रात्रिभोजन का त्याग अवश्यमेव करना चाहिये। रात्रिभोजन में बहुत आरम्भ है और जैन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org