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________________ (6) उन्हें पाने की होड़ भी उतनी ही बढ़ रही है। नई पीढ़ी विज्ञापन जगत् के पीछे चलती है। आहार का मुख्य आकर्षण स्वाद, सुगंध उसकी आकृति और मनमोहक पैकिंग हो गई है। उसकी पौष्टिक गुणवत्ता तथा स्वास्थ्य-लाभ गौण हो गया है। ___रात्रिकाल में रेस्टोरेन्ट, होटल, ठेला आदि का भोजन करना, पैकिंग फूड, फास्ट फूड, टीन फूड आदि का सेवन करना, ये सब आहार की गुणवत्ता को घटाने के प्रतीक हैं। क्या ये सब हमारे लिए आवश्यक हैं? क्या इनके बिना जीवन यापन असंभव है? रात्रिभोजन के लिए जहाँ एक तरफ हमारी असजगता और लापरवाही जिम्मेदार है, वहाँ दूसरी तरफ हमारी सामाजिक व सरकारी व्यवस्था। इन्हीं कारणों से बहुत बार, कई लोग नहीं चाहते हुए भी परिस्थितिवश रात्रिभोजन करते हैं। पर अब हमें जागना होगा, वरना स्वस्थ व्यक्ति ढूँढ़ना मुश्किल हो जाएगा। रात्रिभोजन त्याज्य क्यों? रात्रिभोजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, अपितु स्वास्थ्य और विज्ञान की दृष्टि से भी त्याज्य है। प्रकृति भी हमें यही संदेश देती है। सूर्य का प्रकाश हमारे आरोग्य को नवजीवन प्रदान करता है। आयुर्वेद शास्त्र नाभि की तुलना कमल से करता है और जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश से कमल विकसित होता है और सूर्यास्त होते-होते निष्क्रिय हो जाता है, वैसे ही हमारा नाभिकमल सूर्योदय के साथ विकसित होता है, उसकी क्रियाशक्ति गतिशील होती है और सूर्य की रोशनी के अभाव में वह मुरझा जाता है तथा पाचन तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है। अतः स्वास्थ्य और शारीरिक दृष्टि से रात्रिभोजन त्याज्य है। । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002109
Book TitleRatribhojan Tyag Avashyak Kyo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSthitpragyashreeji
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2009
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Literature, & Paryushan
File Size3 MB
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