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क्र.सं
१
२
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४
५
८
नाम तीर्थंकर
ऋषभदेव
अजितनाथ
संभवनाथ
श्रभिनन्दन
सुमतिनाथ
पद्मप्रभ
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सुपार्श्वनाथ
चन्द्रप्रभ
सुविधिनाथ
शीतलनाथ
श्रेयांसनाथ
वासुपूज्य
विमलनाथ
अनन्तनाथ
धर्मनाथ *
शान्तिनाथ
कुंथुनाथ
अरनाथ
मल्लिनाथ
च्यवन-स्थल
मुनिसुव्रत
नमिनाथ
श्वेताम्बर संदर्भ-ग्रंथ
सत० द्वार १२
गाथा ५४–५६
सर्वार्थसिद्ध
विजय विमान
सातवाँ ग्रैवेयक
जयंत विमान
जयंत विमान
नौवाँ ग्रंवेयक
छठा ग्रैवेयक
वैजयंत विमान
प्रानत स्वर्ग
प्राणत स्वर्ग
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१०
११
१२
१३
१४
१५
१६
१७
१८
१६
२०
२१
२२
अरिष्टनेमि
जयन्त
२३
पार्श्वनाथ
प्रारणत स्वर्ग (इन्द्र) प्रारणत कल्प
२४
महावीर
पुष्पोत्तर विमान
पुष्पोत्तर विमान
* श्री धर्मनाथ ने स्वर्ग की मध्यम प्रायु श्रौर शेष तीर्थंकरों ने उत्कृष्ट प्रायु भोगी ।
अच्युत स्वर्गं
प्रारणत स्वर्ग
सहस्रार
प्रारणत
विजय विमान
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
जयंत विमान
अपराजित विमान
प्रारणत स्वर्ग
अपराजित विमान
प्रारणत स्वर्ग
प्रारणत स्वर्ग
उत्तर पुराण
दिगम्बर संदर्भ-ग्रंथ
सर्वार्थ सिद्ध
विजय विमान
सुदर्शन विमान
प्रथम ग्रैवेयक
विजय विमान
वैजयन्त
ऊर्ध्वं ग्रैवेयक
प्रीतिकर विमान
मध्य ग्रैवेयक
वैजयन्त
प्रारणत स्वर्ग
श्रारण १५व स्वर्गं
प्रच्युत स्वर्ग
महाशुक विमान
सहस्रार स्वर्ग
पुष्पोत्तर विमान
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
प्रारणत अपराजित
तिलोय पण्णत्ती गाथा ५२२-२५
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सर्वार्थसिद्ध
विजय से
प्रोग्रैवेयक
विजय से
जयन्त
ऊर्ध्वं ग्रैवेयक
मध्य ग्रैवेयक वैजयंत विमान
प्रारण युगल श्रारण युगल
पुष्पोत्तर विमान
पुष्पोत्तर विमान
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
सर्वार्थसिद्ध
जयंत
अपराजित
अपराजित विमान अपराजित विमान
महाशुक्र
शतारकल्प से
आनत विमान अपराजित विमान अपराजित
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