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________________ भगवती आराधना घत्ति पि संजमंतो घेत्तूण किलिंचमेत्तमविदिण्णं । होदि हु तणं व लहुओ अप्पच्चइओ य चोरो व्व ॥ ८६४॥ 'र्धात पि संजमंतो' नितरामपि संयमं कुर्वन् । अदत्तं तृणमात्रमपि गृहीत्वा तृणवल्लघुर्भवति, अप्रत्ययितश्चोर इव ॥८६४॥ ५१२ परलोगम्मिय चोरो करेदि णिरयम्मि अप्पणो वसदि । तिव्वाओ वेदणाओ अणुभव हिदि तत्थ सुचिरंपि ||८६५ || 'परलोगम्मि य चोरो करेदि' परलोके चौरः करोत्यात्मनो नरके वसति । कीदृग्भूतो यत्र नरकेषु सुचिरं दीर्घकालं पच्यमानः तीव्रवेदना अनुभवति ||८६५ ॥ तिरियगदीए वि तहा चोरो पाउणदि तिव्वदुक्खाणि । पाएण णीयजोणीसु चैव संसरह सुचिरंपि ||८६६॥ 'तिरियगदीए वि तहा' तिर्यग्गतावपि चौरः प्राप्नोति तीव्राणि दुःखानि । प्रायेण नीचयोनिष्वेव संसरति सुचिरमपि ॥८६६ || माणुस व अत्था हिदा व अहिदा व तस्स णस्संति । णय से घणमुवचीयदि सयं च ओलदृदि घणादो || ८६७ || 'माणुसभवे वि' मनुष्यभवेऽपि तस्य अर्था नश्यन्ति हृता वा अहृता वा । न चोपयाति संचयं धनं, तस्य उपचितेऽपि धने स्वयं तस्मादपयाति धनात् ||८६७॥ परदव्वहरणबुद्धी सिरिभूदी णयरमज्झयारम्मि | हो हदो पदो पत्तो सो दीहसंसारं ॥। ८६८ ।। ‘परदव्वहरणबुद्धी' परद्रव्यहरणबुद्धिः । 'सिरिभूदी' श्रीभूतिर्नगरमध्ये ताडितः प्रहतश्च भूत्वा दीर्घसंसारं प्राप्तः ॥ ८६८॥ गा०—महान् संयमका धारी साधु भी विना दिया तृणमात्र भी ग्रहण करके अविश्वसनीय चोरकी तरह तिनकेके समान लघु हो जाता है || ८६४|| गा०-- - चोर मरकर भी नरकमें वास करता है और वहाँ चिरकालतक तीव्र कष्ट भोगता है ।।८६५।। गा० - तथा चोर तिर्यञ्चगतिमें भी तीव्र दु:ख पाता है । वह प्रायः चिरकालतक नीच योनियोंमें ही जन्ममरण करता है ||८६६ || गा०-- मनुष्यभव में भी उसका धन किसीके द्वारा हरा जाकर अथवा विना हरे नष्ट हो जाता है । वह धनका संचय नहीं कर पाता । धनका संचय हुआ भी तो वह स्वयं उस धनसे वंचित हो जाता है || ८६७|| Jain Education International गा०---परद्रव्यको हरनेमें आसक्त श्रीभूतिनामक ब्राह्मण नगरके मध्य में मारा गया और मरकर दीर्घ संसारी हुआ इसकी कथा कथाकोशमें है || ८६८ || For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001987
Book TitleBhagavati Aradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivarya Acharya
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2004
Total Pages1020
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Religion
File Size23 MB
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