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________________ (हिन्दी - विभाग) वसन्तकुमार म० भट्ट १४१ १. जैनागमों के पाठसम्पादन में प्राचीन भाषाकीय स्वरूप का पुनःस्थापन २. याकोबी के आचारांग और अन्य आचारांग के संस्करणों की पिशल के व्याकरण के साथ भाषाकीय तुलनात्मक अध्ययन ३. नियुक्ति की संख्या एवं उसकी प्राचीनता ४. प्राचीन अर्धमागधी की खोज में डॉ. चन्द्रा का अवदान शोभना आर० शाह १४९ १५५ समणी कुसुमप्रज्ञा रंजनसूरिदेव जिनेन्द्र जैन १६६ ५. आचार्य हरिभद्र की समन्वयात्मक दृष्टि १७० १७६ १८४ पारुल मांकड नंदलाल जैन कमलेशकुमार चोकसी मीरा शर्मा १९७ २०६ ६. अलंकारदप्पण : प्राकृत भाषा का एकमेव अलंकारग्रन्थ - परिचय और कुछ विशेषताएँ . ७. जैनों की सैद्धांतिक धारणाओं में क्रम-परिवर्तन ८. जैनदर्शने शब्दप्रमाणस्य विभावना ९. गाहासत्तसई की लोकधर्मिता १०. संस्कृत महाकाव्यों में जैनियों का योगदान ११. आचार्य रामचन्द्र सूरि और उनका कर्तृत्व १२. निर्भयभीमव्यायोग का साहित्यिक अध्ययन १३. सुदर्शनोदय महाकाव्य की सूक्तियाँ और उनकी लोकधर्मिता १४. "श्लिष्टकाव्य" साहित्य के प्रति जैन विद्वानों का योगदान १५. वाग्भट द्वितीय का गुणविचार १६. श्री वादिराजसूरिकृत पार्श्वनाथ चरित का साहित्यिक मूल्यांकन १७. भीमसेनराजर्षिकथा १८. अश्रुवीणा में उपचारवक्रता १९. वीसवीं शताब्दी की जैन संस्कृत रचनाएँ, उनका वैशिष्ट्य और प्रदेय उदयनाथ झा २१४ प्रभुनाथ द्विवेदी २२३ प्रज्ञा जोगेश जोशी २३५ जयप्रकाश नारायण द्विवेदी २४४ गोपराजु रामा २५२ जागृति पण्ड्या २५८ निरंजना वोरा २६७ सं. प्रीति पंचोली २८१ दीनानाथ शर्मा २९८ भागचन्द्र जैन ३०३ २०. अहिंसा, पर्यावरण एवं इरियावहियासुतं जितेन्द्र बी. शाह ३१५ 000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001982
Book TitleContribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages352
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English & Articles
File Size22 MB
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