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________________ विशेष टिप्पणी [१६७ भगवत् गिरधर गोपालजी की मूर्ति के विषय में श्री लालसिंहजी ने जो जानकारी दी है, मैं अपने अनुसंधान के द्वारा भी उन्हीं तथ्यों को मान रहा हूँ। मैंने स्वयं बहुत वर्षों से भक्त शिरोमणी मीराबाई के जीवन का और उनके रचित पदों आदि का अध्ययन और अनुसंधान चालू कर रक्खा है । मोरांबाई के जीवन और साहित्य के विषय में जयपुर के सुप्रसिद्ध राजपुरोहित स्व० श्री हरिनारायण जी ने बहुत परिश्रम करके मीरां के विषय में बहुत सामग्री संकलित कर रक्खी थी। मीरां के पदों का एक प्रमाणिक संकलन वे स्वयं प्रकाशित करना चाहते थे परन्तु उनका स्वर्गवास हो जाने के कारण वे अपने जीवन में इस महत्वपूर्ण कार्य को प्रकाश में न ला सके । प्रसंगानुसार मुझे जयपुर में राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के मूल संस्थापक एवं अध्यक्ष के रूप में रहते हुये पुरोहित श्री हरिनारायणजी की उक्त सब सामग्री को देखने का सौभाग्य मिला। उनके सुपुत्रों ने यह इच्छा व्यक्त की, कि किसी तरह पुरोहितजी द्वारा संकलित सामग्री प्रकाश में लाई जाय तो वहुत अच्छा होगा। तद्नुसार मैंने स्वयं उस सामग्री का संकलन एव सम्पादन करना स्वीकृत किया और राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान द्वारा उसे प्रकाशित करने का भी आयोजन किया गया। वह सब सामग्री तैयार हो चुकी है और थोड़े ही समय में उसे प्रकाश में रख देने का मेरा प्रयत्न चालू है । पुरोहित श्री हरिनारायण जी ने रूपाहेली निवासी स्वर्गीय ठाकुर श्री चतुरसिंहजी के साथ विशेष पत्रव्यवहार भी किया था, क्योंकि रुपाहेली का ठिकाना मेड़तिया राठोड़ों के सीधे वंश में है और स्व. ठाकुर श्री चतुरसिंहजी अपने घराने के इतिहास का अनुसंधान करने में बड़ी रुचि रखते थे और इस विषष में उन्होंने "चतुर कुल चरित्र" नामक अपने ठिकाने का इतिहास भी संकलित कर प्रकाशित करवाया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001967
Book TitleJinvijay Jivan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherMahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada
Publication Year1971
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size11 MB
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