SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૨૧૪ દ્રવ્યાનુયોગ ભાગ-૧ अंडया उरपरिसप्पा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा અંડજ ઉરપરિસર્પ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે१. इत्थी, २. पुरिसा, ३. णपुंसगा। १.. स्त्री, २. पुरु५, 3. नपुंस5. पोयया उरपरिसप्पा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा પોતજ ઉરપરિસર્પ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે१. इत्थी, २. पुरिसा, ३. णपुंसगा। १. स्त्री, २. पुरु५, 3. नपुंस5. भुजपरिसप्पा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा ભુજપરિસર્પ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે१. अंडया, २. पोयया, ३. संमुच्छिमा। १. ४, २. पोत४, 3. सम्भूर्थिभ. अंडया भुजपरिसप्पा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा અંડજ ભુજપરિસર્પ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે. જેમકે१. इत्थी, २. पुरिसा, ३. णपुंसगा। १. स्त्री, २. पुरु५, 3. नपुंस5. पोयया भुजपरिसप्पा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा પોતજ ભુજપરિસર્પ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે१. इत्थी, २. पुरिसा, ३. णपुंसगा। १. स्त्री, २. पुरुष, 3. नपुंस3. - ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३८ ३. खहयराणं पण्णवणा 3. य२ ७वोनी प्र२५॥ : प. से किं तं खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ? ખેચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચયોનિક કેટલા પ્રકારના छ ? . उ. खहयर- पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया चउब्विहा ખેચર પંચન્દ્રિય તિર્યંચયોનિક ચાર પ્રકારના पण्णत्ता, तं जहा-१. चम्मपक्खी, २. लोमपक्खी, या छ, भ3- १. यपक्षी, २. रोभपक्षी, ३. समुग्गपक्खी, ४. वियतपक्खी।' 3. समुपक्षी, ४. विततपक्षी. प. (१) से किं तं चम्मपक्खी ? प्र. (१) य५६ य२. 32८1 4.२ना छ? उ. चम्मपक्खी अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा 6. पक्षी मने प्रारना या छ, ठेभडेवग्गुली, जलोया, अडिया,भारंडपक्खी, जीवंजीवा, १७वागुल, सोया, यमनी, मारपक्षी, समुद्दवायसा, कण्णत्तिया, पक्खिबिराली, जे જીવંજીવ, જળ કાગડો, કત્રિક અને પક્ષિવિડાલી यावऽण्णे तहप्पगारा। (બિલાડા જેવો પક્ષી) બાકી જે પણ આ પ્રકારના પક્ષી હોય તેને ચર્મપક્ષી સમજવા જોઈએ. से तं चम्मपक्खी। આ ચર્મપક્ષિયોની પ્રરુપણા થઈ. (२) से किं तं लोमपक्खी ? प्र. (२) रोमपक्षी 3241 45२ना छ ? उ. लोमपक्खी अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा 6. रोमपक्षी मने प्रा२ना या छ, भडेढंका कंका कुरला वायसा चक्कागा हंसा कलहंसा ढं, 53, २८, Sunt, 48415, स., बस, पायहंसारायहंसा अडासेडीबगा बलागापारिपवा पास, २।४९स, आ3 (पारेवा, यदी) से, कोंचा सारसा मेसरा मसूरा मयूरासयवच्छा गहरा जगलो, पाली, पारिसव, होय, सारस, मेसर, पोंडरीया कागा कामंजुगा वंजुलगा तित्तिरावट्टगा भसूर, भोर, शतवत्स, [५, पोऽरी., sो, लावगा कवोया कविंजला पारेवया चिडगा चासा अभं, लतेत२, वर्त, सावरी, पा२७, कुक्कुडा सुगा बरहिणा मयणसलागा कोइला सेहा पिं०४८, प्रसूतर, यदी, अयैया, फूडओ, पोपट, वरेल्लगमाई। भोर, मैना, ओयस, सेड मने परिस माहि. से तं लोमपक्खी। આ રોમપક્ષિયોનું વર્ણન થયું १. (क) जीवा. पडि. १, सु. ३६ (ख) उत्त. अ. ३६, गा. १८८ (ग) ठाणं. अ. ४, सु. ३५१/२ २. जीवा. पडि. १, सु. ३६ ३. जीवा. पडि. १, सु. ३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001948
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2002
Total Pages758
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, H000, H020, & agam_related_other_literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy