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________________ १७४ દ્રવ્યાનુયોગ ભાગ-૧ (१) ४७५२ (२) ५१५२ (3) य२. प्र. ४७३२ नपुंस 3240 रन छ ? 6. आखिने छोडसने पूर्वोतो . १. जलयरा, २. थलयरा, ३. खहयरा ।। प. से किं तं जलयरा ? उ. सो चेव पुवुत्त भेओ आसालियवज्जिओ भाणियबो। -जीवा. पडि. २, सु. ५८ (३) मणुस्सनपुंसगाप. से किं तं मणुस्सनपुंसगा? उ. मणुस्सनपुंसगा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा १. कम्मभूमगा, २. अकम्मभूमगा, ३. अंतरदीवगा। - जीवा. पडि. २, सु. ५८ ३९. चउबिहा जीवा चउविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा (3) मनुध्य नपुंस : પ્ર. મનુષ્ય નપુંસક કેટલા પ્રકારના છે ? 6. मनुष्य नपुंस. १९ १२ना या छ, भ3 (१) भभूम४, (२) उभभूम, (3) संतरी५४. 36. ॥२ ५२न। ७१ : સંસાર સમાપન્નક જીવ ચાર પ્રકારના કહ્યા છે. भ: - (१) नैयि, (२) तिर्यययोनि, (3) मनुष्य, (४) हेव. ४०. पांय ५२न। ०१: સંસાર સમાપન્નક જીવ પાંચ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) मेन्द्रिय -यावत्- (५) येन्द्रिय. १. नेरइया, २. तिरिक्खजोणिया, ३. मणुस्सा, ४. देवा।३ - ठाणं.अ.४, उ.४, सु. ३६५ ४०. पंचविहा जीवा पंचविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. एगिंदिया -जाव- ५. पंचेंदिया। - ठाणं.अ.५,उ.३, सु. ४५८/१ ४१. छबिहा जीवा छविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. पुढविकाइया -जाव- ६. तसकाइया। - ठाणं.अ.६, सु. ४८२/१ ४२. सत्तविहा जीवा सत्तविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. नेरइया, २.तिरिक्खजोणिया, ३. तिरिक्खजोणिणीओ, ४. मणुस्सा, ५. मणुस्सीओ, ६. देवा, ७. देवीओ। - ठाणं.अ.७, सु.५६० ४१. ७ ५२ना : સંસાર સમાપન્નક જીવ છ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) पृथ्वीय -यावत्- (G) सं1ि5. ४२. सात ५२न। ७१ : સંસાર સમાપન્નક જીવ સાત પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) नैयि, (२) तिर्थययोनिक (२) तयय (3) तिर्थयाए, (४) मनुष्य, (५) मनुष्याी , (७) ४१, (७) हवी. १. ४. ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३९/३ (क) जीवा. पडि. ४, सु. २०७ (ख) पण्ण. प. १, सु. १८ ३. ६. जीवा.पडि.३, सु. ६५ जीवा.पडि. ६, सु. २२५ २. ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३९/३ ५. (क) जीवा. पडि.३, सु. १०० (ख) जीवा.पडि. ५, सु. २१० (ग) विया. स. ७, उ. ४, सु. २. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001948
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year2002
Total Pages758
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, Metaphysics, H000, H020, & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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