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पञ्चसंग्रह
देवगति-सम्बन्धी इक्कीस प्रकृतिक उदयस्थानका बन्धस्थानको आधार बनाकर उदयस्थान और वर्णन ३७६ सत्त्वस्थानका निरूपण
३९१ देवगति-सम्बन्धी पच्चीस
३७७ भाष्य गाथाकार-द्वारा उपर्युक्त अर्थका स्पष्टीकरण ३९२ देवगति-सम्बन्धी सत्ताईस
३७७ अट्ठाईस प्रकृतिक बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वदेवगति-सम्बन्धी अट्ठाईस
३७८ की विशिष्ट दशामें सम्भव स्थान विशेषोंका
निरूपण देवगति-सम्बन्धी उनतीस
३७८
उक्त बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वस्थानगत देवगति-सम्बन्धी उदयस्थानोंके सर्वउदय विकल्पोंका निरूपण
३९४ दूसरी विशेषता
३७८ चतुर्गति-सम्बन्धी नामकर्मके उदयस्थानोंके सर्व
उक्त बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वस्थानगत भंगोंका निरूपण
३७८ तीसरी विशेषता
३९५ , इन्द्रियमार्गणाकी अपेक्षा सामान्य एकेन्द्रिय
उक्त बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वस्थानगत जीवोंके उदयस्थानोंका वर्णन ।
३७९ चौथी विशेषता
३९५ विकलेन्द्रिय जीवोंके उदयस्थानोंका वर्णन
उवत बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वस्थानगत पञ्चेन्द्रिय "
पांचवीं विशेषता
३९५ कायमार्गणाकी अपेक्षा स्थावरकाय और त्रसकाय
उक्त बन्धस्थानमें उदय और सत्त्वस्थानगत जीवोंके उदयस्थानोंका वर्णन
छठी विशेषता योगमार्गणाको अपेक्षा मनोयोगियों और वचन
उक्त बन्धस्थानमें उदय और सन्वस्थानगत योगियोंके उदयस्थानोंका वर्णन
३८० सातवीं विशेषता
३९६ काययोगियोंके उदयस्थानोंका निरूपण ३८०-३८१ उक्त बन्धस्थानमें उदय और सत्वस्थानगत वेद और कषायमार्गणाकी अपेक्षा उदयस्थानोंका
आठवीं विशेषता वर्णन
३८१ उनतीस और तीस प्रकृतिक बन्धस्थानमें उदय ज्ञानमार्गणाकी अपेक्षा मत्यज्ञानियों और श्रुता
सत्त्वस्थानोंका निरूपण ज्ञानियोंके उदयस्थानोंका निरूपण ३८१ उनतीस प्रकृतिक बन्धस्थानमें इक्कीस प्रकृतिक शेष ज्ञानवाले जीवोंके उदयस्थानोंका कथन ३८१ उदय स्थानके साथ तेरानबे और इक्यानबे संयममार्गणाकी अपेक्षा नामकर्मके उदयस्थानोंका
प्रकृतिक सत्त्वस्थानके स्वामीका निरूपण ३९८ वर्णन
३८२ उक्त बन्धस्थान और उदयस्थानके साथ बानबे दर्शनमार्गणाकी अपेक्षा नामकर्मके उदयस्थानोंका।
और नब्बे प्रकृतिक सत्त्वस्थानके स्वामी कथन
३८२ का निरूपण
३९८ लेश्यामार्गणाकी अपेक्षा नामकर्मके उदयस्थानोंका उक्त बन्धस्थान और उदयस्थानके साथ अट्ठासी, कथन
३८२ चौरासी और बयासी प्रकृतिक सत्त्वस्थानके भव्यत्व आदि शेष मार्गणाओंकी अपेक्षा नामकर्मके
स्वामीका वर्णन उदयस्थानोंका निरूपण
३८३ उनतीस प्रकृतिक बन्धस्थानमें चौबीस प्रकृतिकसप्ततिकाकार-द्वारा नामकर्मके सत्त्वस्थानोंका
उदयस्थानके साथ वानबे, नब्वे आदि पाँच वर्णन
३८५ सत्त्वस्थानोंके स्वामीका निरूपण भाष्य गाथाकार-द्वारा नामकर्मके सर्व सत्त्वस्थानों
उक्त बन्धस्थानमें पच्चीस प्रकृतिक उदयस्थानके की प्रकृतियोंका निरूपण ३८५-३८७ साथ तेरानबे आदि सात सत्त्वस्थानोंके गणस्थानोंमें नामकर्मके सत्त्वस्थानोंका निरूपण ३८८ स्वामियोंका कथन सप्ततिकाकार-द्वारा बन्धस्थान, उदयस्थान और उक्त बन्धस्थानमें छब्बीससे लेकर तीस प्रकृतिक सत्त्वस्थान इन तीनोंको एकत्र मिलाकर
उदयस्थानोंके साथ तेरानबे आदि सात कहनेकी सूचना
सत्त्वस्थानोंके स्वामियोंका कथन
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