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मुहूर्तराज ]
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यह हर्ष का विषय है कि इस कार्यक्रम में इस कार्य में मुनिश्री जैसे विद्वानों का अमूल्य योगदान हो रहा है। ___ कार्यक्रम का प्रारम्भ वैदिक, पौराणिक एवं सांगीतिक मंगलाचरण में हुआ, स्वागत भाषण काशी पंण्डित सभा
मंगलवार ७, नवम्बर १९८९ के बटुक नाथ शास्त्री खिस्ते ने किया । अनन्तर काशी पंण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने सभा का परिचय प्रस्तुत किया । प्रचार मंत्री पं. ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने
हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए अभिनन्दनीय मुनिश्री का परिचय दिया । भूतपूर्व न्याय काशी के विद्वानों का आह्वान विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीराम पाण्डेयजी ने अभिनन्दन पत्र प्रदान किया । अनन्तर काशी पण्डित सभा की ओर से वाराणसी, ६ नवम्बर । अगस्त्य कुण्ड स्थित शारदा मुनिश्री जयप्रभ विजयजी को मानद उपाधि प्रदानी की
भवन में रविवार को सम्पन्न हुए काशी पण्डित सभा के गई। विद्वद गोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे- सर्वश्री
विशेष अधिवेशन सभा में धार (मध्य प्रदेश) से पधारे नरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रिन्सिपल- दयानन्द महाविद्यालय, डॉ.
मुनिश्री जय प्रभु विजय ने हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों की
रक्षा पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए काशी के विद्वानों कैलाशपति त्रिपाठी साहित्य संस्कृति संकायाध्यक्ष- स.
को आगे आना चाहिए। संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. श्रीराम पाण्डेय, काशी हिन्दू
| गोष्ठी में भाग लेते हुए अन्य विद्वानों ने कहा कि शास्त्रों विश्वविद्यालयीन साहित्य विभागाध्यक्ष, डॉ. रेवा प्रसाद | की रक्षा तथा संस्कृत भाषा को ओर समुन्नत बनाने के द्विवेदी, डॉ. देवस्वरुप मिश्र दर्शन संकायाध्यक्ष संस्कृत | | लिए विद्वानों के अतिरिक्त हिन्दू धर्मावलम्बी सभी संत विश्वविद्यालय, डॅा. रामप्रसाद त्रिपाठी, पण्डित | एवं मुनियों को भी आगे आना चाहिए। भारतीय संस्कृति चल्लालक्ष्मण शास्त्री, डॉ. रामचन्द्र पाण्डेय, ज्योतिष । | एवं शास्त्रों की चर्चा करते हुए विद्वानों ने कहा कि आज विभागाध्यक्ष का.हि.वि.वि. आदि थे।
जहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां आपसी द्वन्द्व में समाप्त धन्यवाद पं. बंदिकृष्ण त्रिपाठी ने दिया । अधिवेषन
होती जा रही है, वही हमारी सभ्यता एवं संस्कृति का के अनन्तर उपस्थित विद्वनों का काशी पण्डित सभा की
स्वरूप अक्षुण्ण बना हुआ है। कार्यक्रम का प्रारम्भ पं. ओर से सत्कार किया गया। सभा का संचालन डॉ. विनोद राव पाठक ने किया।
पण्डितर भार ज्योतिषाचार्य श्री जयप्रभ विजयजी को मानद उपाधि प्रदान करते प्रो. बटुकनाथ शास्त्री खिस्ते (बायें) एवं
विशषामा डॉ. विनोद राव पाठक (दायें)।
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मानद उपाधि ग्रहण करते हुए मुनिश्री नय प्रभ विजयनी, शाल ओढ़े प्रो. एकनाथ शास्त्री खिस्ते (मध्यक्ष काशी पण्डित सभा) तथा विनोद ।
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