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________________ ३० ] [ मुहूर्तराज पृष्ठ सं. २५० २५१ २५१ २५२ २५३ २३९ २५५ क्र.सं. शीर्षक नाम ४४ कतिपय अन्य शुभ लग्न कुण्डली योग ४५ आनन्दादि सात योग कुण्डलियाँ २५० ४६ आनन्दादि योग फल ४७ प्रतिष्ठा लग्न कुण्डली में रेखादातृ ग्रह संस्था २५१ ४८ प्रतिष्ठा भंगद ग्रह संस्था ४९ यहाँ कुछ विशेष ५० प्रतिष्ठा में ग्रह संस्था से विभिन्न प्रकार बोध सारणी २५३ ५१ श्री पूर्णभद्र मतानुसार ग्रह. संस्था फल प्रतिष्ठा कुण्डली में भावस्थित्यनुसार ग्रह शुभाशुभता बोध सारणी २५४ श्री अरिहन्त स्थापना कुण्डली में ग्रहस्थिति २५५ ५४ श्री महादेव स्थापना कुण्डली में ग्रहस्थिति श्री ब्रह्मा स्थापना कुण्डली में ग्रहस्थिति ५६ श्री देवी स्थापना कुण्डली में ग्रहस्थिति ५७ श्री इन्द्रादि स्थापना कुण्डली में ग्रहस्थिति २५५ ५८ ग्रह विंशोपक बल २५६ ५९ ग्रह बलवत्ता २५७ ६० मुथुशिल एवं मुशरिफ योग २५८ ६१ ग्रहों की बलहीनता २५८-२५९ ६२ देवादि प्रतिष्ठा में द्रष्टव्य अयनादि पदार्थ बोध सारणी २६० ६३ श्री जिनेश्वरों के च्वयन नक्षत्र राशि योनि आदि २६१ ६४ श्री जिनेश्वर नाम-नक्षत्र-राशि-योनि गण-चिह्न-नाडी बोधक यन्त्र ६५ अथ ग्रन्थ प्रशस्ति २६३ इति प्रतिष्ठा परपर्याय गृह प्रवेश प्रकरणम् : समाप्ता मुहूर्तराज स्यानुक्रमणिका २५५ क्र.सं. शीर्षक नाम पृष्ठ सं. नक्षत्र सारणी २३३ १५ प्रवेश में निष्कृष्टार्थ विशेष २३४ १६ वास्तुपूजा २३४ १७ नूतनगृहप्रवेश एवं सुपूर्वगृहप्रवेश में ग्राह्य अयनादि बोध सारणी २३५ १८ जीर्ण एवं जीर्णोद्धृत गृह प्रवेश में ग्राह्य अयनादि बोध सारणी २३६ १९ प्रतिष्ठा समय विचार २३६-२३७ २० जन्ममास तिथि एवं नक्षत्रों की त्याज्यता २३७ २१ प्रतिष्ठा में दिनशुद्धि २३८ २२ भद्रादिदोषों से लग्न भंग २३९ २३ प्रतिष्ठा नक्षत्र २४ प्रतिष्ठा में पक्ष २५ प्रतिष्ठा तिथि २४० प्रतिष्ठा में लग्न २४० २७ श्रीजिनेश्वर प्रतिष्ठा में लग्न २४१ २८ अन्य देवों की प्रतिष्ठा में लग्न २९ प्रतिष्ठा में लग्न नवांश २४१-२४३ ३० लग्नविषयक सामान्य नियम २४३ ३१ कर्तरीफल एवं परिहार २४३ ३२ कर्तरी के विषय में व्यास एवं कर्तरी के प्रकारत्रय २४४ ३३ त्रिविध कर्तरी बोध कुण्डलियाँ ३४ प्रतिष्ठा लग्न में ग्रहयुति एवं दृष्टि ३५ प्रतिष्ठा लग्न में ग्रहयुति-दृष्टि बोध-सारणी ३६ समस्त शुभकार्यों के लग्नों में त्याज्य पदार्थ । २४६ ३७ प्रतिष्ठा कुण्डली में सप्तम स्थान में त्याज्य ग्रह संस्था ३८ प्रतिष्ठादि कार्यों में सामान्यतया ग्रहस्थिति रूप योग २४७ ३९ श्रीवत्सादि द्वादश योग कुण्डलियाँ ४० गजादि चार योग ४१ गजादि योग कुण्डलियाँ ४२ उपर्युक्तयोग शुभाशुभता २४९ ४३ श्रीपूर्णभद्र के विचार २५५ २४१ २४५ २४६ २४६ २६२ २४८ २४८ २४९ २४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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