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________________ मुहूर्तराज ] [ ४१३ १. कार्य की सिद्धि, २. मेघवृष्टि, ३. देश का सौख्य, ४. स्थानसुख, ५. ग्रामान्तर, ६. व्यवहार, ७. व्यापार, ८. व्याजदान, ९. भय, १०. चतुष्पाद, ११. सेवा, १२. सेवक, १३. धारणा, १४. बाघरूधा, १४. पुररोध, १६. कन्यादान, १७. वर, १८. जयाजय, १९. मंत्रोषधि, २०. राज्यप्राप्ति, २१. अथचिन्तन, २२. सन्तान, २३. आगन्तुक और २४ गतवस्तु । उपरोक्त २४ तीर्थंकरों में से किसी एक पर फलाफल विषयक ६-६ उत्तर हैं जैसे ऋषभदेव के नाम पर निम्नोक्त उत्तर हैं। शीघ्रं सफला कार्यसिद्धि भविष्यति, अस्मिन् व्यवहारे मध्यं फलं द्रष्यते ग्रामान्तरे फलं नास्ति, कष्टमस्ति, भव्यं स्थान सौख्यं भविष्यते, अल्पा मेघवृष्टि संभाव्यक्ते । " उपर्युक्त २४ प्रश्नों के १४४ उत्तर संस्कृत में है तथा प्रश्न कैसे निकालना, उसका फलाफल कैसे जानना - ये बातें उस समय की गुजराती भाषा में भी दी गई है। 'अन्त में पं. श्री नयविजयगणि शिष्य गणिजसविजय लिखितम्' ऐसा लिखा है । १ उदय दीपिका : उपाध्याय मेघविजयजी ने वि. सं. १७५२ में 'उदय दीपिका' नामक ग्रन्थ की रचना मदनसिंह श्रावक के लिए की थी। इसमें ज्योतिष सम्बन्धी प्रश्नों और उनके उत्तरों का वर्णन है। यह ग्रन्थ अप्रकाशित है। प्रश्न सुन्दरी : उपाध्याय मेघविजयजी ने वि. सं. १७५५ में 'प्रश्न सुन्दरी' नामक ग्रन्थ की रचना की है। इसमें प्रश्न निकालने की पद्धति का वर्णन किया गया है। यह ग्रन्थ अप्रकाशित है। वर्ष प्रबोध : उपाध्याय मेघविजयजी ने 'वर्ष प्रबोध' ऊपर नाम 'मेघ महोदय' नामक ग्रन्थ की रचना की है। ग्रन्थ संस्कृत भाषा में है। कई अवतरण प्राकृत ग्रन्थों के भी हैं। इस ग्रन्थ का सम्बन्ध 'स्थानांग' के साथ बताया गया है । समस्त ग्रन्थ तेरह अधिकारों में विभक्त है। जिनमें निम्नांकित विषयों की चर्चा की गई है । प्रतिमास के वायु का विचार, ६. वर्षा बरसाने और बन्द करने के ८. राशियों पर ग्रहों के उदय और अस्त के वक्री का फल, ९. १०. संक्राति फल, ११. वर्ष के राजा और मंत्री आदि, १२ सर्वतोभद्रचक्र और वर्षा बताने वाले शकुन | १. उत्पात, २. कूर्परचक्र, ३. पद्मिनीचक्र, ४. मण्डल प्रकरण, ५. सूर्य चन्द्र ग्रहण के फल तथा मन्त्र - यन्त्र, ७. साठ संवत्सरों का फल, अयन मास पक्ष और दिन का विचार, वर्षा का गर्भ, १३. विश्वा आय-व्यय यह कृति 'जैन संशोधक' त्रेमासिक पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है। १. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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