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________________ ३६८ ] [ मुहूर्तराज अथ रामादिप्रश्न- (बा. बो. ज्यो. सा. समुच्चय से उद्धृत) स्थाननाशश्च रामे स्यात्सीतायां दुःखमेव च । लक्ष्मणे कार्यसिद्धिस्यात्सर्वलाभो विभीषणे ॥ मरणं कुंभकर्णे च रावणे च धनक्षयः । अङ्गदे च धुर्व राज्यम्, सुग्रीवे बन्धुदर्शनम् ॥ कैकेय्यां कार्यहानिश्च भरते त्वभिषेचनम् । कल्याणमिन्द्रतनये, कार्यनाशश्च शूलिनि ॥ हनुमति कार्यसिद्धिश्च जाम्बवत्यायुरुच्चय । कलहो नारदे वाच्यो गुहे तु प्रियदर्शनम् ॥ रामचक्रमिदं शस्त्रम् देवर्षिकथितं पुरा । प्रश्नार्थ सर्वलोकानां शुभं सर्वार्थदायकम् ॥ अर्थ :- प्रश्नकर्ता शुद्ध भावपूर्वक इष्टदेव का स्मरण कर निम्नलिखित “रामादि प्रश्नचक्र" के कोष्ठकों में से किसी पर अंगुली रखे तदनुसार शुभाशुभ फल इस प्रकार है- राम नाम पर अंगुली आ जाने से प्रश्नकर्ता के स्थान का नाश सीता पर अंगुली आने से दुःख, लक्ष्मण से कार्यसिद्धि, विभीषण से सर्वलाभ, कुंभकर्ण से मरण अथवा मृत्यु सद्दश अपमान रोगादि, रावण से धननाश, अङ्गद से निश्चित राज्यसुख, सुग्रीव से बन्धु दर्शन, कैकेयी से कार्यहानि, भरत से महासम्मान, इन्द्रतनय अर्थात् अर्जुन से कल्याणप्राप्ति, शली अर्थात् महादेव से कार्यनाश, हनुमान से सर्वकार्यसिद्धि, जाम्बवान् से दीर्घायु, नारद से कलह, कार्तिकस्वामी से प्रियदर्शन, ये फल जानने चाहिए। ॥ रामादिप्रश्नचक्र ॥ राम सीता लक्ष्मण विभीषण कुंभकर्ण रावण अंगद सुग्रीव कैकेयी भरत अर्जुन महादेव हनुमान् जाम्बवान् नारद कार्तिकस्वामी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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