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________________ [३१७ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - ठ १० - साध्यजिन | तारा योनि वर्ग विंशोपक गण राशि | नाडी महिष देव कन्या साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध 석사 लभ्य आद्य आद्य अश्व मनुष्य मध्यम श्रम मध्यम शुभ श्रेष्ठतर | श्रेष्ठतर भवेध अशुभ शुभ अशुभ अशुभ मध्यम श्रेष्ठ मध्यम श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी | श्री सम्भवनाथजी | श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी १६ | श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी श्री महावीरस्वामीजी अशुभ अशुभ मध्यम सम स्व . सम 4 4 4 4 अशुभ शभ अशुभ | वैर | वैर शत्रु शुभ सम अशुभ |शत्र वेध मध्यम अशुभ वैर । श्रेष्ठ ३ मध्यम स्व भवेध राशि पति एकनाथ नक्षत्र वर्ण वैश्य वश्य बिना सिंह एवं धनु के सभी कन्या बुध मिथुन हस्त मध्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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