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________________ [३१५ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - टे, टै साध्यजिन तारा योनि । वर्ग विंशोपक गण राशि |नाडी स्वकीय सिंह साध्यनाम लभ्य देय विरुद्ध मनुष्य राक्षस ५,७,९ | मकर | आद्य | शुभ श्रेष्ठ मध्यम शुभ अशुभ अशुभ मध्यम |शुभ भवेध ___ अशुभ कुवैर अशुभ अशुभ कुवैर अशुभ | शुभ अशुभ | शुभ मध्यम | श्रेष्ठतर अशुभ शुभ वेध शभ मध्यम शत्रु श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी ११ / श्री श्रेयांसनाथजी | श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी | श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी | श्री कुंथुनाथजी | श्री अरनाथजी | श्री मल्लिनाथजी | श्री मुनिसुव्रतजी | श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी |श्री पार्श्वनाथजी | श्री महावीरस्वामीजी अशुभ सम वध मैत्री अशुभ मध्यम प्रीति प्रीति श्रेष्ठ मध्यम शुभ वेध मध्यम अशुभ मध्यम श्रेष्ठ अशुभ प्रीति मध्यम शुभ वेध मध्यम शत्रु मध्यम | वेध अशुभ कुवर अशुभ कुवैर अशुभ अशुभ स्व शुभ एकम पति एकनाथ नक्षत्र राशि सिंह वर्ण क्षत्रिय वश्य बिना धनु व वृश्चिक युजि मध्य सूर्य उ.फा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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