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मुहूर्तराज ]
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इस प्रकार गृहारम्भार्थ वृषावास्तुचक्रानुसार वत्स सुफलद अंगों पर चन्द्रनक्षत्र देख लेना चाहिए तब गृहारम्भ करना श्रेयस्कर है।
अब किन-किन संक्रान्तियों एवं किन-किन चान्द्रमासों में गृहारम्भ करना श्रेष्ठ है, उस विषय में बतलाते हैं
सौरचान्द्रमासों की एकता से, गृहद्वार दिशाएँ, निर्माण नक्षत्रादि - (मु.चि.वा.प्र. श्लो १५)
कुम्भेऽके फाल्गुने प्रागपरमुखगृहं श्रावणे सिंहकों , पौषे नक्रे च याम्योत्तरमुखसदनम् गोऽजगेऽर्के च राधे । मार्गे जूकालिगे सद् ध्रुवमूदुवरुणस्वातिवस्वर्कपुष्यैः ,
सूतीगेहं वा॑दत्याम् हरिभविधिभयोस्तत्र शस्तः प्रवेशः ॥ अन्वय - कुंम्भेऽकें (कुंभराशिस्थे सूर्ये) फाल्गुनेमासि च प्रागपरमुखं (पूर्वमुखं पश्चिम मुखं च) गृहम्, श्रावणे मासि सिंहकों : (सिंहस्थे कर्कस्थे वा सूर्ये) पूर्वपश्चिम मुखं गृहम्, पौषे नक्रे च (मकरस्थे सूर्ये) पूर्वोक्तमेव गृहं सत् भवति। अथ गोऽजगे (वृषराशिस्थे मेषराशिस्थे च) अकें सति राधे वैशाखे मासे च, तथा मार्गे (मार्गशीर्षमासे) जूकालिगे सूर्ये (तुलावृश्चिकस्थे सूर्ये) याम्योत्तरमुखं (दक्षिणोत्तरमुखम्) गृहं सद् (शोभनम्) स्यात्। अथ गृहारम्भे नक्षत्राणि-ध्रुवमृदुवरुणस्वातिवस्वर्कपुष्यैः (रोहिण्युत्तत्रयमृगरेवतीचित्रानुराधाशततारकास्वातीधनिष्ठाहस्तपुष्य नक्षत्रैः) गेहारम्भ: शुभः। अथ अदित्याम् सूतीगेहं सत् तत्र च हरिभविधिभयौः श्रवणाभिजिनक्षत्रयोः प्रवेश: च शस्तः।
अर्थ - सौर एवं चान्द्र मासों के समन्वय से पूर्व अथवा पश्चिम दिशा में द्वार वाले भवनों के निर्माण में कुम्भ के सूर्य में फाल्गुन मास सिंह और कर्क राशि के सूर्य में श्रावण मास और मकर राशि के सूर्य में पौष मास शुभ है।
तथा उत्तर या दक्षिण मुख भवनों के निर्माण हेतु मेष और वृष के सूर्य में वैशाख मास, तुला और वृश्चिक के सूर्य में मार्गशीर्ष मास शुभ है।
गृहारम्भ में मृदु एवं ध्रुवसंज्ञक नक्षत्र, शतभिषक, स्वाती, धनिष्ठा, हस्त और पुष्य नक्षत्र शुभफल है। तथा च सूतिका गृह निर्माण में पुनर्वसु एवं उसमें प्रवेशार्थ श्रवण एवं अभिजित् नक्षत्र प्रशस्त हैं।
ऊपर के श्लोक में सौर एवं चान्द्रमासों का समन्वय करके गृहारम्भ के निमित्त उपयुक्त संक्रान्ति-मासों का निर्देशन किया गया है अब केवल गेहारम्भ में संक्रान्तियों का ही फलाफल बतलाते हुए नारद का मत बतलाते हैं
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