________________
गाथा ५३४
१५४
पिण्डनियुक्ति-सूची ख- शेष आठ दोष गृहस्थ लगाते हैं गाथा ५१६ क- ग्रहणैषणा के चार निक्षेप
ख- द्रव्य ग्रहणषणा का उदाहरण
ग- भाव ग्रहोषणा के दस भेद गाथा ५१७-५१६ द्रव्य ग्रहणैषणा का उदाहरण गाथा ५२० अप्रशस्त भाव ग्रहणषणा के दस भेद गाथा ५२१ क- शंकित दोष की चतुर्भगी
ख- एक भंग शुद्ध है शेष भंग अशुद्ध हैं गाथा ५२२ सोलह उद्गम दोष और नव म्रक्षितादि दोष
ये २५ दोष गाथा ५२३ उपयोग युक्त छद्मस्थ श्रुतज्ञानी का लिया हुआ
सदोष आहार भी शुद्ध है गाथा ५२४ श्रुतज्ञानी द्वारा लाए हुए आहार का केवली द्वारा
ग्रहण करना गाथा ५२५ श्रुत के अप्रामाण्य होने पर चारित्र आराधना का
व्यर्थ होना गाथा ५२६-५२८ ग्रहण और परिभोग सम्बन्धी चतुर्भगी गाथा ५२६ सर्व दोषों की मूल शंका गाथा ५३० एषणीय और अनेषणीय का मूल आधार शुद्धा
शुद्ध परिणाम गाथा ५३१ क- म्रक्षित के दो भेद
ख- सचित म्रक्षित के तीन भेद
ग- अचित म्रक्षित के दो भेद गाथा ५३२ अचित म्रक्षित कल्प्य और अकल्प्य गाथा ५३३ सचित पृथ्वीकाय म्रक्षित के दो भेद गाथा ५३४ क- सचित अप्काय म्रक्षित के चार भेद
ख- सचित वनस्पतिकाय म्रक्षित के चार भेद
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org