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________________ पिण्डनियुक्ति सूची गाथा १६६ गाथा १७०-१७१ गाथा १७२-१७६ गाथा १७७-१७८ गाथा १७६ गाथा १८० गाथा १८१-१८२ गाथा १८३-१८८ गाथा १८६ गाथा १६० गाथा १६१-१६४ गाथा १६५ गाथा १६६ गाथा १६७-२०३ गाथा २०४ - २०६ गाथा २०७ गाथा २०८ गाथा २०६ - २११ Jain Education International ९४६ आधाकर्म खादिम स्वादिम का उदाहरण. निष्ठित और कृत शब्द का अर्थ. वृक्ष की छाया के सम्बन्ध में कल्प्य अकल्पय का निर्णय. निष्ठित और कृत की चतुर्भंगी. अतिक्रमादि चार दोष. गाथा २११ आधाकर्म आहार के लिए निमंत्रण. क- आधाकर्म आहार ग्रहण करने में अतिक्रमादि दोष. ख- अतिक्रमादि दोषों का उदाहरण. आधाकर्म आहार ग्रहण करने में आज्ञाभंग आदि चार दोष. अकल्प्य आधाकर्म विषयक ५ द्वार. आधाकर्म अभोज्य है. अकल्प्य और अभोज्य के उदाहरण. आधाकर्म आहार से स्पृष्ट आहार भी अकल्प्य आधाकर्म आहारवाले पात्र में शुद्ध आहार भी अकल्प्य है. आधाकर्म आहार का विधि पूर्वक और अविधि पूर्वक त्याग प्रश्न द्वारा आधाकर्म आहार का निर्णय. आत्मशुद्धि का मूल आधार आत्म परिणाम, शुद्ध आहार लेने पर भी अप्रशस्त आत्मपरिणामों से अशुभ कर्मो का बन्ध शुद्ध आहार गवेषी को अशुद्ध आहार मिलने पर भी दोष नहीं. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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