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________________ ८७० उ० ६ सूत्र ३४ ८७० व्यवहारसूत्र-सूची अष्टम उद्देशक वसति निवास स्थविरों की आज्ञानुसार श्रमण का वसति-विभाग में निवास शय्या-संस्तारक सभी ऋतुओं में अल्पभार के शय्या-संस्तारक लेना ५ क- स्थविरों के उपकरण ख- शय्या-संस्तारक लौटाये हुए उपकरणों की दूसरी वार आज्ञा लेना ग- शय्या-संस्तारक अन्यत्र ले जाने के नियम १०-११ आज्ञादाता की अनुपस्थिति में ठहरने की और आज्ञा लेने की विधि १२-१४ भुले हुए उपकरण को लौटाना क- गृहस्थ के घर में | ख- स्वाध्याय स्थल में ग- शौच स्थल में घ- मार्ग में भूले हुए उपकरणों को लौटाना १५ अधिक पात्र अन्य निर्ग्रन्थ निग्रंन्थी के लिये स्थविर की आज्ञा से पात्र लाना १६ आहार-परिभोगैषणा क- आहार का प्रमाण ख- प्रमाण से अधिक आहार खाने का निषेध नवम उद्देशक गृह स्वामी१-३० शय्यातर-गृहस्वामी का ग्राह्य और अग्राह्य आहार ३१-३४ भित्तु प्रतिमा क- सप्त सप्तमिका भिक्षु-प्रतिमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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