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________________ उ० ५ सूत्र २० ८६७ व्यवहारसूत्र-सूची प्रवर्तिनियों का चार-चार निर्ग्रन्थियों सहित तथा गणावच्छेदिनियों का पाँच-पाँच निर्ग्रन्थियों सहित निवास वर्षावास में ग्राम-यावत्-सन्निवेश में प्रतिनियों का चार-चार निर्ग्रन्थियों सहित तथा गणावच्छेदिनियों का पाँच-पांच निर्गन्थियों सहित वर्षावास ११-१४ प्रमुख निर्ग्रन्थी की मृत्यु के पश्चात् प्रमुख पद क- हेमन्त और ग्रीष्म में ख- वर्षावास में ग- बिना प्रमुख निर्ग्रन्थी के रहने पर प्रायश्चित्त घ- रुग्ण प्रवर्तिनी के आदेशानुसार प्रवर्तिनी पद देना ज- अपध्याना प्रवर्तिनी के आदेशानुसार प्रतिनी पद देना १५.१६ "प्राचार प्रकल्प का विस्मरण और प्रमुख पद क- प्रमाद से आचार प्रकल्प विस्मृत तरुण श्रमण को प्रमुख पद न देना ख- शारीरिक विपत्ति से आचार-प्रकल्प विस्मृत तरुण को प्रमुख पद देना ग-घ- तरुण निर्ग्रन्थी के 'क-ख' के समान दो विकल्प ङ- आचार प्रकल्प स्थविर को प्रमुख पद देना च- विस्मृत आचार प्रकल्प का पुनः कण्ठस्थ करना अनिवार्य अालोचना क. आलोचना सूनने योग्य प्रमुख निर्ग्रन्थ के समीप आलोचना करना ख- योग्य के अभाव में परस्पर आलोचना करना वैयावृत्य-सेवा क- निर्ग्रन्थ की निर्ग्रन्थी सेबा ख- निर्ग्रन्थी की निर्ग्रन्थ सेवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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