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________________ उ० ५ सूत्र ५४ ८५५ बृहत्कल्प-सूची २२-२३ निर्ग्रन्थी के आतापना लेने सम्बन्धी विधि निषेध २४ निर्ग्रन्थी के लिये दस अभिग्रहों का निषेध २५ निर्ग्रन्थी के लिये भिक्षु प्रतिमाओं की आराधना का निषेध २६-३४ निर्ग्रन्थी के लिये कतिपय आसनों से कार्योत्सर्ग करने का निषेध एषणा समिति--वस्त्र कल्प ३५-३६ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के आंकुचन पट्ट सम्बन्धी विधि निषेध शय्या श्रासन परिभोगैषणा ३७-४० निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के शयनासन सम्बन्धी विधि-निषेध पात्र परिभोगैषणा ४१-४२ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के तुम्बा पात्र सम्बन्धी विधि निषेध प्रमार्जनिका-परिभोगैषणा ४३-४४ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के प्रमाणनिका सम्बन्धी विधि निषेध रजोहरण परिभोगैषणा ४५-४६ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के रजोहरण सम्बन्धी विधि-निषेध रोग-चिकित्सा ४७-४८ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के मानव मूत्र लेने सम्बन्धी विधि-निषेध ५६-५३ क. निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के कालातिक्रान्त आहार सम्बन्धी विधि-निषेध ख- निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के कालातिक्रान्त विलेपन-सम्बन्धी विधि निषेध ग- निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों के कालातिक्रान्त अभ्यङ्ग सम्बन्धी विधि निषेध घ- निर्ग्रन्थियों के कालातिक्रान्त कल्कादि सम्बन्धी विधि-निषेध संघ व्यवस्था-वैयावृत्य ५४ परिहार कल्प स्थित की स्थविर सेवा सम्बन्धी विशेष नियम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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