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________________ अ०२६ सूत्र ६ ८०७ उत्तराध्ययन-सूची ८ क- धर्म, अधर्म और आकाश एक द्रव्यात्मक ख- काल, जीव और पुदगल अनेक द्रव्यात्मक ६.१२ षड़ द्रव्य के लक्षण पर्याय के लक्षण दर्शन १४ الله नव तत्त्व के नाम १५ सम्यक्त्व की व्याख्या १६-२७ सम्यकत्व के दस भेद २८ सम्यक्त्वी के तीन प्रमुख कर्तव्य २६-३० ज्ञानादि चार का परस्पर अनुबन्ध सम्यक्त्वी के अष्ट कृत्य चारित्र चारित्र के पाँच भेद चारित्र की व्याख्या तप तप के दो भेद, प्रत्येक के ६-६ भेद ज्ञानादि चार का फल उपसंहार- तप संयम से कर्मक्षय الله الله الله سد سد مه له उनत्तीसवाँ सम्यकत्व-पराक्रम अध्ययन क- भ० महावीर द्वारा सम्यक्त्व पराक्रम अध्ययन का प्रतिपादन ख- अराधना से सिद्धि अध्ययन के विषय संवेग का फल निर्वेद का फल धर्म श्रद्धा का फल गुरु और स्वधर्मी सुश्रुषा का फल الله » مي م Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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