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________________ “सूत्र १४-१७ ५६६ जीवाभिगम सूची ट-सूक्ष्म पृथ्वी कायिकों द्वारा ऊँचे-नीचे, तिरछे स्थित पुद्गलोंकाआहार " आदि मध्य अन्त में स्थित पुद्गलोंका आहार स्व विषय स्थित पुद्गलों का आहार "J क्रम से स्थित ठ to to ड ढ - ण " 73 "" "" " 19 " " "7 33 17 त थ १६- सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पत्ति "" २० २१ २२ २३ २४ २५ " "" जीवों की स्थिति जीवों का मरण जीवों का उद्वर्तन जीवों की गति आगति जीव प्रत्येक शरीरी जीव असंख्याता १४ बादर पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के १५ क - २ श्लक्ष्ण - पृथ्वीकायिक जीव सात प्रकार के ख संक्षेप में दो प्रकार के २ श्लक्ष्ण पृथ्वीकायिक जीवों के तेवीस द्वार " "" Jain Education International 37 "" "" "" 31 ?? 17 11 " 11 33 व्याघात न होने पर ६ दिशाओं से आहार व्याघात होने पर ३, ४, ५ दिशाओ में आहार कारण से 33 विपरिणमन- परिवर्तन करके पुन आहार अपकायिक जीव १६ क - अप्कायिक जीव दो प्रकार के 72 ख- सूक्ष्म अष्कायिक जीव दो प्रकार के ग- सूक्ष्म अष्कायिक जीव संक्षेप में दो प्रकार के सूक्ष्म अष्कायिक जीवों के तेवीस द्वार "१७ क- बादर अष्कायिक जीव अनेक प्रकार के ख- बादर अप्कायिक जीव अनेक प्रकार के For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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