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गाथा ३-२२
३
४-८
६-१०
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सिद्धात्माओं का संस्थान
सिद्धों की जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट अवगाहना
एक में अनेक सिद्धात्मा सिद्धात्माओं का लोकान्त से स्पर्श.
सिद्ध-आत्माओं का परस्पर स्पर्श.
११
सिद्धों का लक्षण
१२
सिद्धों का ज्ञान, सिद्धों की दृष्टि १३-२२ सिद्धों का सोदाहरण सुख स्वरूप
औपपातिक सूची
कंदप्पमाभिओगं च, किव्विसिय मोहमासुरत्त' च मरणमि विराहिया होंति ।।
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एयाओ दुग्गईओ, कंदप्प - कुक्कुयाई,
विम्हावेंतो य परं,
मंता जोगं काउँ,
तहसील-सहाव-हास - विगहाई | कंदप्पं भावणं कुणई || भूईकम्मं च जे परंजंति । अभियोगं भावणं कुणई || धम्मायरियस्स संघ-साहूणं ।
साय-रस- इड्डिहेउं,
नाणस्स केवलीणं,
माई अवण्णवाई, किव्विसियं भावणं कुणई || अणुबद्ध रोस - पसरो, तह य निमित्तम्मिहोइ पड़िसेवी । एए हिं कारणेहिं, आसुरियं भावणं कुणई || सत्थगहणं विसभक्खणं, जलणं जलपवेसो
अणायार-भंडसेवी,
जन्म-मरणाणि
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य ।
बंधंति ॥
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