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________________ सूत्र ३६ ५३६ औपपातिक-सूची (१८) व्यन्तर देवों की स्थिति [अनाराधक] (१६) अग्निहोत्री-यावत्-कण्डू-त्यागियों की ज्योतिषी देवों में उत्पत्ति [विविध तापस सम्प्रदायों के नाम] (२०) ज्योतिषी देवों की स्थिति (२१) ज्योतिषी देवों का अनाराधक होना (२२) कान्दपिक-यावत्-नृत्यरुचि श्रमणों की वैमानिकों में उत्पत्ति (२३) वैमानिक देवों की स्थिति (अनाराधक] परिव्राजकों की ब्रह्मलोक में उत्पत्ति (२४) क- आठ ब्राह्मण परिव्राजकों के नाम ख- आठ परिव्राजकों के नाम ग- षट् शास्त्रों के नाम घ- सांख्य शास्त्र तथा अन्य ग्रन्थ ङ- परिव्राजकों की संक्षिप्त आचार संहिता (२५) परिव्राजकों की स्थिति [अनाराधक] अंबड परिव्राजक की चर्या ३६ क- अंबड के सात सो शिष्य ख- कंपिलपुर से पुरिमताल नगर जाना ग- अटवी में भटक जाना घ- सभी परिव्राजकों की पिपासा-पानी पाने की इच्छा पानीदाता की शोध ङ- अदत्तादान की प्रतिज्ञा च- गंगा नदी की संतप्त वालुरेत पर संलेखना. पादपोगमन, समाधिमरण छ- सभी परिव्राजकों की ब्रह्मलोक में उत्पत्ति. स्थिति. परलोक की आराधकता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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