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________________ ३९४ भगवती-सूची श०२४ उ०१३ प्र०५६ चतुर्थ पाठा वर्ग पाठा वर्ग के दस उद्देशक ताड़ वर्ग के समान चौबीसवाँ शतक प्रथम नैरयिक उद्देशक १ तिर्यचों और मनुष्यों का नै रयिकों में उपपात २ पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का नरकों में उपपात ३-५ संज्ञी असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रियों का नरकों में उपपात ६-६५ रत्नप्रभा में उत्पन्न होने वाले असंज्ञो तिथंच पंचेन्द्रियों के सम्बन्ध में प्र० ७ से ६५ तक विकल्पों का चिंतन । ६६ रत्नप्रभा में उत्पन्न होने वाले संज्ञी तिर्यंच पंचन्द्रियों के संबंध में प्र० ६७ से ८६ तक के विकल्पों का चिंतन ८७-११० संज्ञी मनुष्यों का सात नरकों में उपपात द्वितीय परिमाण उद्देशक असुर कुमार १-२५ क- राजगृह ख- असुर कुमारों में तिर्यंचों और मनुष्यों का उपपात विस्तृत वर्णन ततीय से इग्यारहवें पर्यन्त नाग कुमारादि उद्देशक १-१७ क- राजगृह ख- नाग कुमार-यावत्-स्तनित कुमार में तिर्यंचों और मनुष्यों का उपपात-विस्तृत वर्णन बारहवाँ पृथ्वीकाय उद्देशक १-५६ पृथ्वीकायिकों में तिर्यंचों मनुष्यों और देवों का उपपात विस्तृत वर्णन तेरहवाँ अप्काय उद्देशक अप्कायिकों में पृथ्वीका यिकों के समान उपपात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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