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________________ श०२१ उ०१ प्र०३ ३६१ भगवती-सूची के जीवों का उद्वर्तन और च्यवन ८४ चौबीस दण्डक के जीवों की आत्मशक्ति से उत्पत्ति ८५ चौबीस दण्डक के जीवों का आत्मशक्ति से उद्वर्तन और च्यवन ८६ चौबीस दण्डक के जीवों की स्व स्व कर्मों से उत्पत्ति ८७ चौबीस दण्डक के जीवों का आत्मप्रयोग से उत्पन्न होना ८८-८६ क- चौबीस दण्डक के जीव संख्यात और असंख्यात ख- संख्यात होने के हेतु ६० सिद्ध-सिद्ध क्षेत्र में प्रवेश होने की अपेक्षा एक या संख्यात ६१ चौबीस दण्डक में कति संचित आदि की अपेक्षा अल्प-बहुत्व ६२ कति संचित आदि की अपेक्षा सिद्धों की अल्प-बहुत्व ६३-६४ चौबीस दण्डक के जीव और सिद्ध षट्क समजितादि ६५-६६ षटक समर्जित आदि की अपेक्षा चौबीस दण्डक के जीवों की और सिद्धों की अल्प-बहुत्व ६७-६८ द्वादश समजित की अपेक्षा चौबीस दण्डक के जीवों की और सिद्धों की अल्प-बहुत्व ६६-१०० चौबीस समर्जित की अपेक्षा चौबीस दण्डक के जीवों की तथा सिद्धों की अल्प-बहुत्व इक्कीसवाँ शतक प्रथम वर्ग प्रथम शाली उद्देशक १ क- राजगृह, भ० महावीर, भ० गौतम ख- शाल्यादि वर्ग में उत्पन्न होने वाले जीवों की गति का निर्णय २ शाल्यादि वर्ग में उत्पन्न होने वाले जीवों का परिमाण ३ शाल्यादि वर्ग के जीवों की अवगाहना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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